Book Title: Sanmati Tirth Varshik Patrika
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Sanmati Tirth Prakashan Pune

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Page 6
________________ सम्मति-तीर्थ अन्मति-तीर्थ (२) सूत्रकृतांगपर आधारित लघुनिबन्धों की विषयसूचि बागमार चंद्रकला बागमार लता १) स्त्रीपरिज्ञा : एक समीक्षा २) सूत्रकृतांग में कर्मसिद्धान्त का स्वरूप ३) जलशुद्धी आणि धर्म ४) सूत्रकृतांगातील अंधविषयक दृष्टांत ५) सूर मण्णइ अप्पाणं-एक अनोखी गाथा ६) सूत्रकृतांगातील षट्जीवनिकायरक्षा ७) सूत्रकृतांग में आयुष्य और बोधि का दुर्लभत्व ८) 'धर्म' अध्ययनातील पंचमहाव्रते ९) आदानीय : एक समीक्षा १०) 'मार्ग' अध्ययनातील मार्गदर्शन ११) नरक : वास्तव की संकल्पना १२) 'धर्म' अध्ययनाचे अंतरंग १३) स्त्रीपरिज्ञा : एक नूतन समीक्षा १४) समवसरण १५) समवसरण : खऱ्या अर्थाने स्वसमय-परसमय १६) आधुनिकता का अर्थ : अपनी पहचान १७) वादविवादसंगम : एक समीक्षा १८) 'ग्रंथ' अध्ययनातील आदर्श शिक्षक १९) कुशील परिभाषा - गाथासमीक्षा २०) स्त्रीपरिज्ञा आणि सद्य:स्थिती बागमार स्मिता भंडारी कुमुदिनी भंडारी सुमतिलाल भंडारी सरला भंडारी सुविता भटेवरा उज्ज्वला दि. भटेवरा विमल सू. भटेवरा विमल वि. बोरा पुष्पा बोथरा कमल छाजेड भगवानदास छाजेड मृणालिनी छाजेड रेखा डॉ. मंजु चोपडा चोरडिया शकुंतला डागलिया लता देसडला साधना धोका अनीता २१) स्त्रीपरिज्ञा : एक समीक्षा धुमावत प्रेमा २२) आदानीय अध्ययन : प्राकृत सारांश कांकरिया आशा २३) सूत्रकृतांगाची पर्यायवाची नावे कांकरिया निर्मला २४) सूत्रकृतांगातील सुभाषिते कर्नावट कमल २५) सूत्रकृतांगातील षट्जीवनिकायरक्षा कटारिया संगीता २६) सूत्रकृतांग : दर्शनप्रधान या आचारप्रधान खणसे पारमिता २७) उदगेण जे सिद्धिं उदाहरंति : तौलनिक समीक्षा कुलकर्णी मनीषा २८) 'वीर्य' अध्ययन से होनेवाला सामान्य बोध ललवाणी प्रतिभा २९) 'वैतालीय' अध्ययनातील मुनींची सहिष्णुता लोढा मदन ३०) सूत्रकृतांग का सार लोढा शोभा ३१) सूत्रकृतांग की षड्द्रव्य-नवतत्त्व दृष्टि से समीक्षा लुंकड कमल ३२) 'ग्रंथ' अध्ययन में आदर्श अध्यापक मालु बालचंद ३३) नरक : एक वास्तव अथवा संकल्पना मुनोत संगीता ३४) सूर मण्णइ अप्पाणं : गाथासमीक्षा मुनोत सविता ३५) Ideal Teacher according to 'Grantha' मुथा अनीता ३६) स्त्रीपरिज्ञा : एक प्रतिक्रिया-क्या भगवन् आप भी ! मुथा ज्योत्स्ना ३७) कुशील अध्ययनातील पार्श्वस्थ मुथा कल्पना ३८) सूत्रकृतांग का दार्शनिक विश्लेषण - श्रीमद् राजचंद्र के अनुसार नहार हंसा ३९) 'धर्म' अध्ययनातील पंचमहाव्रते - गीता, धम्मपद व पातञ्जलयोगाच्या तुलनेत नहाटा संगीता

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