Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 01 Khand 02
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 5
________________ सौ० सवितावाई -स्मारक ग्रंथमालानं.४ हमारी धर्मपत्नी सविताबाईका स्वर्गवास सिर्फ २२ वर्षकी युवान वयमें एक २ पुत्र-पुत्रीको छोडकर वीर सं० २४५६ में हुआ तम हमने उनके स्मरणार्य २०००)इस लिये निकाले थे कि यह रकम स्थायी रखकर इसके सूदसे 'सविताबाई स्मारक ग्रन्थमाला' प्रतिवर्ष निकाली जाय और उसका “दिगंबर जैन" या जैन महिलादर्श द्वारा विना मूल्य प्रचार किया जाय। इस प्रकार यह अन्यमाला चालु होकर आज तक निम्नलिखित प्रन्थ इस मालामें प्रकट हो चुके है १-ऐतिहासिक स्त्रियाँ । २-संक्षिप्त जैन इतिहास द्वि० भाग प्र० खंड । ३-पंचरत्न। और चौथा यह सं० जैन इतिहास द्वि० भाग-दू० खंड प्रकट किया जाता है और 'दिगम्बर जैन के २७ वें वर्षके ग्राहकोंको भेटमें दिया जाता है। जैन समाजमें दान तो अनेक भाई बहिन निकालते हैं परंतु उसका यथेष्ट उपयोग नहीं होता । यदि उपरोक्त प्रकारके दानकी रकमको स्थायी रखकर स्मारक ग्रंथमाला निकाली जानेका प्रचार हो जाये तो जैन समाजमें अनेक जैन प्रन्योंका सुलभतया प्रचार हो सकेगा। चीर सं० २४६० । मूलचंद किसनदास कापडिया। ज्येष्ट सुदी ६. S सपादक, दिगम्बर जैन-सूरत ।

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