Book Title: Sankshipta Jain Dharm Prakash
Author(s): Bhaiya Bhagwandas
Publisher: Bhaiya Bhagwandas

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Page 43
________________ लम्बनमाकर जीवों को जन्म-मरणात भर बिनामों से मुहिक नेपाली पवित्र माध्यात्मिक शिक्षा ही जन कति बोहैं। जैन-धर्म में जो लिगंबर मेताका भारि शाया है। ये मुनि भाभिन है. जैन-धर्म में काई भी अन्ना नहीं है। ६-मरिमा का स्वरूप क्या? ना. मन, बनन, काया में धमाक माय प्राह युति, मनप्रा, भान. पाकर, मा.याग. मामाय. विनय नया विवे: प्रादि प्राम प्रतियों का नाम प्रतिमा है. जिसका मांश पालन मुन जायन में श्रीराम बसवनग ना. जिम धिम्नच्यारा नाममा मकान ७ जिन मनिसा की पूजा कयों को जाना? बिना यानगग प्रवाना कर मामना क. कम पान का परपण नामक', अनबीनसायका प्रधानमगदेव, बानमा गुम ). वनगा धम. यानगग काम्या पाय प्रालिका ने जमा कि... नानाग मान यागं बनावमन' यानगग ।। स्मरण क. यानगग यिनका प्रान करना है * इमान्य प्रामानि क. अभिलाषा का के लिय कंबल ०क बनगग प्रतिमा : पाप है. इसमय में जैन मगि ar.in श्रमम्या का समर्थन और विधन श्रीभगवद्गाना के द्वितीय अध्याय में नित मुनि लमण . मप में प्रकट करने में भाया है

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