Book Title: Sanghvi Dharna aur Dharan Vihar Ranakpur Tirth ka Itihas
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Pragvat Sangh Sabha

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Page 4
________________ निवेदन इस जगविश्रुत श्री राणकपुरतीर्थ का जीर्णोद्धार अहमदाबाद (गुजरात) में संस्थापित श्री पाणंदजी कल्यागजी की पीढ़ी ने लगभग रु. ७०००००) सप्त लक्ष का सद्व्यय करके करवाया है तथा तीर्थ के चतुर्दिक लगभग रु० ५८०००) अट्ठावन सहस्र व्यय कर के सुदृढ़ परिकोष्ठ भी बनवाया है। इस तीर्थ की व्यवस्था भी यही पीढ़ी करती है। इस पीढ़ी की सुव्यवस्था से इस महान् तीर्थ की अच्छी सेवा हुई है। इसी पीढ़ी की ओर से तीर्थ की पुनः प्रतिष्ठा वि० सं० २००६ फाल्गुण शुक्ला पंचमी को कई लक्ष रुपयों का व्यय करके करवाई जा रही है । इस प्रतिष्ठामहोत्सव में सुदूर एवं निकट के प्रांतों के अगणित ग्राम, नगरों से कई सहस्रों की संख्या में दर्शकों के भाने की आशा है। तीर्थ-दर्शन का आनन्द, प्रतिष्ठोत्सव का आनन्दअगर इन दोनों प्रानन्द की सरिताओं में इस तीर्थ के और इस तीर्थ के निर्माता के इतिहास के वाचन के आनन्द की सरिता भी संमिलित हो जाती है तो यह आनन्द का त्रिवेणीसंगम सचमुच पूर्ण आनंददायी सिद्ध होगा। दर्शकों को इस अपूर्व पूर्णानन्द की प्राप्ति हो, यही विचार कर इस महान् तीर्थ और इसके निर्माता प्राग्वाटकुलावतंस श्रेष्ठि संघवी धरणाशाह का इतिहास इस शुभावसर पर पूर्व प्रकाशित करते हुये अपार आनन्द हो रहा हैं । आशा है पाठकगण समिति के श्रम का लाभ उठाकर उसके श्रम का मूल्य करेंगे। -मंत्री

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