Book Title: Sanghvi Dharna aur Dharan Vihar Ranakpur Tirth ka Itihas
Author(s): Daulatsinh Lodha
Publisher: Pragvat Sangh Sabha

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Page 16
________________ श्री राणकपुरतीर्थ ] [ विश्वासपात्र सामन्तों को भेजकर मानपूर्वक सं० धरणा को राजसभा में बुलवाया और सं० धरणा का अच्छा मान किया, तथा सं० धरणा को अपने विश्वासपात्र व्यक्तियों में स्थान दिया। महाराणा कुम्भकर्ण को महाराणा कुम्भकर्ण बड़े ही प्रतापी, राज्यसभा में सं० धरणा यशस्वी, गुणी राजा थे। उनके दरबार में सदा गुणवानों और पुण्यात्माओं का स्वागत होता रहता था। ऐसे गुणी राजा की राज्य-सभा में अगर संघवी धरणाशाह का मान दिन दुगुना रात चौगुना बढ़ा । सं० धरणा महाराणा कुम्मकर्ण का मन्त्री रहा हो, ऐसा कोई प्रमाणिक उल्लेख प्राप्त नहीं हुआ है। सं० धरणा महाराणा के दरबार में अति सम्मानित व्यक्ति अवश्य थे, जो राणकपुर की प्रशस्ति से ही स्पष्ट सिद्ध होता है। (१७) ........"४० कुलकाननपंचाननस्य । विषमतमाभंगसारंग(१८) पुर नागपुर गागरण नराणकाऽजयमेरु मंडोर मंडलकर बुदि (१६) खाटू चाटू सूजानादि नानामहादुर्गलीलामात्रग्रहणप्रमाणि(३०)......." राणाश्रीकुम्भकर्णसर्वोवीपतिसार्वभौमस्य ४१ विजय(३१) मान राज्ये ....... (३२) ..................................... ....... ." श्रीमदहम्मद(३३) सुरत्राणदत्तफ़रमाणसाधुश्रीगुणराजसंघपतिसाहचर्यकृताश्च(३४) र्यकारिदेवालयाडम्बरपुरः सरश्रीशत्रञ्जयादितीर्थयात्रेण । अजा(३५)हरी पिंडरवाटकसालेरादि बहुस्थाननवीनजैनविहारजीर्णोद्धार(३६) पदस्थापनाविषमसमयसत्रागारनानाप्रकारपरोपकारश्रीसंघस(३७) त्काराद्यगण्यपुण्यमहार्थक्रयाणकपूर्यमाणभवागावतारणक्षम -राणपुरतीर्थप्रशस्ति.प्रा. बै० ले० सं०भा०२ ले०३०७ .....................

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