Book Title: Sangha Saurabh
Author(s): Bhuvanchandra
Publisher: Parshwachandra Gacch Jain Sangh Deshalpur Kutch

View full book text
Previous | Next

Page 79
________________ दादावाड़ी - उपाश्रय का जीर्णोद्धार, भीनासर में नूतन उपाश्रय का निर्माण करवाया। उस समय की प्रतिकूलताओं को झेलते हुए कच्छ, काठियावाड़ झालावाड़, मारवाड़, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बंगाल, बिहार आदि राज्यों में विहार किया। समेतशिखर और अन्य कल्याणक भूमिओं की यात्राएँ कीं । जीवन में सोलह उपवास, पनरह उपवास, इग्यारह उपवास, दस उपवास किए, आठ उपवास तो कई बार किए। संयमसाधना से अपने जीवन को पवित्र बनाया, साथ ही अपने जीवन से जनता को प्रेरणादान देते रहे। आपका दीक्षापर्याय ५८ वर्ष का रहा। सं. २०२० आषाढ़ सूदि १५ को तीन दिन के अनशनपूर्वक इस नश्वर देह का पूज्यश्रीने त्याग किया। पार्श्वचन्द्रगच्छ के गौरवान्वित पूज्यश्री दयाश्रीजी महाराज की पावन स्मृति में बीकानेर संघ ने बगीची में 'दयामंदिर' बनवाकर उसमें पूज्यश्री की चरणपादुका स्थापित की | वि. सं. १९६१ १९६२ १९६३ १९६४ १९६५ १९६६ १९६७ १९६८ १९६९ मेराउ १९७० धागंधा १९७१ कोड़ाय १९७२ नलिया १९७३ बाड़ा १९७४ १९७५ ૬૮ स्थल नानाभाड़िया अमदावाद मांडल विरमगांव मांडल बिदड़ा मोटी खाखर नानाभाड़िया नवावास बिदड़ा गुरुणीजी श्री दयाश्रीजी म. के चातुर्मास की सूचि वि. सं. स्थल वि. सं. स्थल १९७६ धागंधा बिदड़ा १९७७ खंभात मेड़तासिटी १९७८ बीकानेर विरमगांव १९७९ कोड़ाय १९८० सुथरी १९८१ १९८२ १९८३ १९८४ Jain Education International दीप तो बुझा मगर अपना प्रकाश देकर, फूल तो मुरझा मगर अपनी सुगंध देकर; तार टूटा मगर अपना सूर सुनाकर, गुरु तो चले मगर अपना नूर फैलाकर । १९८५ १९८६ १९८७ १९८८ १९८९ १९९० रुण बीकानेर अमदावाद बीकानेर खजवाणा कानपुर कलकत्ता रूण भूपालगढ़ खजवाणा पालीताणा भुजपुर १९९१ १९९२ १९९३ १९९४ १९९५ १९९६ नवावास १९९७ मोटी खाखर १९९८ कोठारा १९९९ तलवाणा २००० अमदावाद २००१ विरमगांव २००२ उनावा २००३ रुण २००४ २००५ For Private & Personal Use Only बीकानेर बीकानेर वि. सं. स्थल २००६ बीकानेर २००७ रुण २००८ खजवाणा २००९ रुण २०१० बीकानेर २०११ भीनासर २०१२ बीकानेर २०१३ बीकानेर २०१४ बीकानेर २०१५ बीकानेर २०१६ बीकानेर २०१७ बीकानेर २०१८ बीकानेर २०१९ बीकानेर સંઘસૌરભ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176