Book Title: Sandesha Rasaka
Author(s): Abdul Rahman, Jinvijay, H C Bhayani
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 248
________________ सन्देशरासकगतपद्यानुक्रमणिका-अकाराद्यनुक्रमेण । पद्याक १५२ अहणेहिण भासिउ रइमइ अइकुडिलमाइ पिहुणा अच्छिहि जिह नारिहिं नर अच्छिहि जिह सन्निह अणियसखणं जलवरि' अणुराइय रयहरु अन्नय सेस महीरुह अवर कह व णिवडम्भर अवर कह व वरमुद्ध अवर कावि सुविअक्खण अवहट्टय-सक्कय-पाइयंमि अहवा ण इत्थ दोसो अंगि अंगि घणु घुसिणु आएहि पहिय किं पुच्छिएण आमरूय गुल्लर महूय आरिट्रिय दमणय गिद आसाजलसंसित्त विरह आसोए सरय महासरीए इम इक्किकह तत्थ रूखु इम कट्टिहिं मइ गमिउ इम किवि केलि करहि इम तवियउ बहु गिंभु इम दुक्खह तरलच्छि इम विलवंती कहव इय गाह पढिवि उट्ठिय इहु डोमिलउ भणेविणु ईसरसरि सालूरिव उत्तरायणि वहिहि दिवस उल्हवियं गिम्हवी ऊसासडउ न मिल्हवउ एय वयण आयन्नवि एयारिसंमि समए ओसासंभमरुद्धसास कदमलुल धवलंग विहा' कसिणंयरि विहाविह पद्या २३ कह व ठाइ सुद्यवच्छ ३२ कहवि इय गाह पंथिय ७४ १७४ कहि ण सवित्थरु सक्कर १०५ १६७ कारंड करहि तह कीर २१७ ८४ किंकिल्लि कुंज कुंकुम २२ किं जुत्तं सुकुलग्गयाण ६४ किं तहि देसि णहु फुरइ *किंनु पयावइ अंधलु १५) ५१ किंसुयइ कसिण घणरत्त २०९ ४८ कुसुम सराउह रूव ३१ ६ केवि दिति रिउणाहह १९६ ८ को आइन्निहिं वंसवीण ४५ १७८ कोमल मुणालणलयं ३५ १२७ कंत जु तइ हिअय° ५८ *कंतु कहिव्वउ भंति (पृ. २८) ६२ खणु मुणिउ दुसहु जम १०७ खंधउ दुवइ सुणेवि २२१ १७२ | गजति तरुणि णवजुव्वणिहि २२० ५४ गयउ गिम्हु अइ दुसहु २०४ १९२ गयउ दिवसु थिउ सेसु १८० | गयउ सिसिरु वणतिण १३९ गयविदरवि वलाहय १२४ गरुअउ परिहवु ७७ १५७ गाहा तं निसुणेविणु २१४ गिरिणइसमआवत्तं गिंभताविण खर तविय १५५ गुणणिहि जलबिंदुब्भवहि ११२ | चच्चरिहि गेउझुणि करिवि २१९ १४९ चिकणरउ चंबाइहिं छाय फुल्ल फल रहिय ६६ छायंती कह कहव २९ २२१ जइ अस्थि णई गंगा जइ अत्थि पारिजाओ १४३ जइ अणक्खरु कहिउ मइ १७७ जइ अंबरु उग्गिलइ २०० ४१ १४१ २२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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