Book Title: Sandesha Rasaka
Author(s): Abdul Rahman, Jinvijay, H C Bhayani
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 276
________________ सन्देशरासकान्तर्गत प्राकृतशब्द सूचि । ° कुट्टि ३९ = खण्ड (?) केम ११६ = कथम् ( अप० ) अ अइरावइ ११ = ऐरावत, ऐरावण अरि २२१ आश्चर्य अणियती १२८ अनिवृत्ति [अ] णु ७ = पश्चात् अमियझरण ३३ अमृत-क्षरण अम्ह १२८= अस्माकम् ( गु. अम ) अम्हारिस ७ अस्मादृश अवहट्टय ६ [ अपभ्रष्टक ] अपभ्रंश अलजिर १७ [ अ + / लज्ज्+दूर ] मान आरद्द ३ = तन्तुवाय V आसास = आश्वासय्, ( अप० ) आसोअ १७२ अश्वयुज इ इंदोइभ १५३ इन्द्रगोपक इहिं ९३ = इदानीम् इव ३६ ( द्रष्टव्य - विय ) आसासहि १६ उब्विन ३९ उद्भन [ उद्विग्न ? ] अलज्ज Jain Education International ३६ क ११९ कर्षित (गु. काढयूँ ) कत्तार २ कर्तृ करकरा (काकशब्दे ), करकरायन्तु ९ करबि १० वाद्य विशेष काय ९ काक किरि १० किल ( प्राचीन गु. किरि ) किसणत्तण ३२ कृष्णश्व कुक्कस १६ (कुकुस ) तुष V कल = कल ( गु. कळवु, कळावु ) कलिज्जन्ति ३४ = दृश्यन्ते 'कल° ७२ कल्य = श्वः ( गु. काल ) ख खणद्धमत्त १२७ क्षणार्धमात्र 'खलिर° १७२ स्खल + इर] स्वछत् V खिव = क्षिपू, खिवइ २२१ खीरी १६ = पयस्था ( गु. खीर ) 'जलण ८४ ज्वलन जाल° १२७ ज्वाला उ √ उल्लल = उद्+पत् (गु. उलळवु ), उल्ललइ जालंधरि ३८ कदली ग गहिल्ली १५ ग्रथिला (गु. घेली) गन्ध १२ गन्धाढ्य |गाम - गहिल्ली १५ = ग्रामीण-वधू गुहिर ३७= गभीर चंगिमा १५ = चारुता चुज ११६ = श्राश्वर्य छम्म १५३ छद्मन् ●य ५ निपुण च छ ज जोइक्ख ८ [ ज्योतिष्क ] द्वीप जोइज्जइ ८ द्योत्यते जोइज ३७ दृश्यते (गु. जोवु ) झ V झर = क्ष (गु. झवु ), झरए ११ त तांति ७२ तिष्ठन्ति ( व्याख्या ) ( गु. टगवु, कुँ ? ) For Private & Personal Use Only तडतडण° १५२ तद्दिह १२८ = = तद् +- दीर्घ (?) तंतीवाय १० तंत्रीवाद्य तंदुला १६ तंडुलक (गु. तांदुळ ) तह ३ = तत्र ता ८ = तहि www.jainelibrary.org

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