Book Title: Sandesha Rasaka
Author(s): Abdul Rahman, Jinvijay, H C Bhayani
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 255
________________ ९८ सन्देशरासक-शब्दकोष कडयइ-आकृष्यमाणकोदण्डस्य कडकड | कलयल १४४ कलकल " इति शब्दे, कडयडवि १८५ | कलस २९ कलश कडक्ख १२३ कटाक्ष | कल (गु. कळवू) कलिजहि ५२ कड्डिय० १७७ कट्टकृष्ट (गु. काढवु, चित्र- कली २०५ कलिय, कलि (गु. कळी) काढवू इत्याधर्थक) कल्लोल १४२ कढिण ८५ कठिन कवण ६४ प्रश्नार्थ सर्वनाम कण° ११८ (गु. कोण, हिं. कौन) कणय २४ कणयंगिकनकाङ्गी कवाल ८६ कपाल-शिरोऽस्थि, भाल (गु. कंटअ २०६ कंटअग्ग-कंटकान कपाळ) कंठ १५४ कवालिय १८५ कापालिक कत्थवि ४४ कुत्र+अपि कवित्त १० कवित्व कदम १४३ कर्दम | कवोल ५२ कपोल कंखिरि १३३, कंखिरी २२० -कसिण ८७ कृष्ण = कालिमा कांक्षन्ती कंत ७६ कांत, कम्तय १६७ V कह्न्थ् (गु. कहेb) कहउँ ६८, कहउ ९१, कति ८७ कांति कहसु [कथ+स्व] ८२, कहह ६८, कहु ९१, कहिय ९२, ११०कहिजवदेः, कंदप्प १७८ कंदर्प कंदुह १६२ उत्पल [कंदो नीलोत्पलम्] कथेः, कहिज ८८, कहिजसु ७४, कहिसु ९१, कहवि ७४, कहिव्वउ ९९, कहा कपूर १७९ कर्पूर णिज ९१ कहिय ११७, कहियय ९१ कम ३० क्रम = पद कहि १०५ (कहि ण सकउ = कथितुम् न कम्म १९९ कर्म शक्रोमि (गु. कही न शकुँ) कर-कृ (गु. करई) करेइ १०४, करेहि | कहणह ८० (कथनस्य) कथनाय २०५, कीरइ १७९, १९४ (कीरहि) करहि ६८, करि १०९, कहणु ८१ कहणु न जाइ - कथितुम् न याति करिवि ८८, करवि १९, करि ९२, किय १९४, कीय १९९, कियय! कह-क कुत्र १५४ १०२, कीयय १९९ कहव १५७ कथमिव कर १३० हस कह कह वि १८ कथं कथमपि कर १३१ किरण °कह १८२ कथा करयल १४२ (कलयल) कलकल कहि ४१ कुत्र (गु. कर्हि) Vकरप्प-कृन्त (गु. करपर्दू) काँइ १२४ (काह) किम् (गु. काँ, काँह) करप्पियइ १२४ कर्ण्यते काय २१६ काया (गु. काय) कार २१८ करलय १४१ (१) करल: पगदण्डकः काम १८२ (गु. पगदंडो-डी) चरणवीथि कामिय २२ कामिक (गु. कामी) करवत्त १२४ करपत्रम् (गु. करवत) कामिणि ५० °नी (गु. कामनी) करि ४६ करिन् | कारंड २१७ (१) मण्डलम्, नीडम् करुण' १३४ कारुन २१७ कारुण्य कल. १८३ काल ९४ समय कलयंठि १४४ कलकंठी = कोकिला . कालंगुलि ८१ कनिष्ठागुलि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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