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सन्देशरासक-शब्दकोष
कडयइ-आकृष्यमाणकोदण्डस्य कडकड | कलयल १४४ कलकल
" इति शब्दे, कडयडवि १८५ | कलस २९ कलश कडक्ख १२३ कटाक्ष
| कल (गु. कळवू) कलिजहि ५२ कड्डिय० १७७ कट्टकृष्ट (गु. काढवु, चित्र- कली २०५ कलिय, कलि (गु. कळी)
काढवू इत्याधर्थक) कल्लोल १४२ कढिण ८५ कठिन
कवण ६४ प्रश्नार्थ सर्वनाम कण° ११८
(गु. कोण, हिं. कौन) कणय २४ कणयंगिकनकाङ्गी
कवाल ८६ कपाल-शिरोऽस्थि, भाल (गु. कंटअ २०६ कंटअग्ग-कंटकान
कपाळ) कंठ १५४
कवालिय १८५ कापालिक कत्थवि ४४ कुत्र+अपि
कवित्त १० कवित्व कदम १४३ कर्दम
| कवोल ५२ कपोल कंखिरि १३३, कंखिरी २२० -कसिण ८७ कृष्ण = कालिमा
कांक्षन्ती कंत ७६ कांत, कम्तय १६७
V कह्न्थ् (गु. कहेb) कहउँ ६८, कहउ ९१, कति ८७ कांति
कहसु [कथ+स्व] ८२, कहह ६८, कहु
९१, कहिय ९२, ११०कहिजवदेः, कंदप्प १७८ कंदर्प कंदुह १६२ उत्पल [कंदो नीलोत्पलम्]
कथेः, कहिज ८८, कहिजसु ७४, कहिसु
९१, कहवि ७४, कहिव्वउ ९९, कहा कपूर १७९ कर्पूर
णिज ९१ कहिय ११७, कहियय ९१ कम ३० क्रम = पद
कहि १०५ (कहि ण सकउ = कथितुम् न कम्म १९९ कर्म
शक्रोमि (गु. कही न शकुँ) कर-कृ (गु. करई) करेइ १०४, करेहि |
कहणह ८० (कथनस्य) कथनाय २०५, कीरइ १७९, १९४ (कीरहि) करहि ६८, करि १०९,
कहणु ८१ कहणु न जाइ - कथितुम् न
याति करिवि ८८, करवि १९, करि ९२, किय १९४, कीय १९९, कियय! कह-क कुत्र १५४ १०२, कीयय १९९
कहव १५७ कथमिव कर १३० हस
कह कह वि १८ कथं कथमपि कर १३१ किरण
°कह १८२ कथा करयल १४२ (कलयल) कलकल कहि ४१ कुत्र (गु. कर्हि) Vकरप्प-कृन्त (गु. करपर्दू)
काँइ १२४ (काह) किम् (गु. काँ, काँह) करप्पियइ १२४ कर्ण्यते काय २१६ काया (गु. काय) कार २१८ करलय १४१ (१) करल: पगदण्डकः
काम १८२ (गु. पगदंडो-डी) चरणवीथि कामिय २२ कामिक (गु. कामी) करवत्त १२४ करपत्रम् (गु. करवत) कामिणि ५० °नी (गु. कामनी) करि ४६ करिन्
| कारंड २१७ (१) मण्डलम्, नीडम् करुण' १३४
कारुन २१७ कारुण्य कल. १८३
काल ९४ समय कलयंठि १४४ कलकंठी = कोकिला . कालंगुलि ८१ कनिष्ठागुलि
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