________________
९९
सन्देशरासक-शब्दकोष कावालिय ८६ कापालिक
| केलीहर १९४ कदलीगृह कावालिणि ८६ कापालिनी
1 °कोअण ४७ कौकुच द्र० कोयणि काहल°४५ काहला
कोयंड ५२ कोदंड कि ७७ (किं) किम्
कोइल १४८ कोकिल किंकिणि २६ °णी
कोऊहल १९ कौतूहल किम ६९ (किव) कथम् (गु. केम) कोऊहलिय ३० कौतूहलित किम्मइ १२८ किम+इ (<वि < कोलिय° १९ कौलिक = तंतुवाय
अपि) (गु. केमे) कोसिल्ल १८६ कौशल्य किरण° १४१
ख किरि ९९ किल
खयहि १३७ खयह (?), अपयति किसण १४८ कृष्ण
खजोय १६५ खद्योत 'किसलय° २०५
खट्टंग ८६ (?)खट्वाङ्ग = पल्यपाद; योग्यु. किहु ९६ (=किहु = किं खलु) किमपि
पकरण कीर २१७
खण १९ क्षण कुकवित्त २१ कुकवित्व
खंभाइत्त ६५ स्तम्भतीर्थ (गु. खंभात) कुट्ट १७३ प्रहार
खर १४२ कुडिल° १७७ कुटिल
Vखल-स्खल, खलहि ५४, खलिय ८७ कुंडवाल° १७५ वर्तुल (गु. कुंडाहुँ) खल १८४ (गु. खळ)
कुंड-कुंडलिय-कुंडवालः [यथा चक- खाम ११८ क्षाम चालिय-चकवाल; पेंड-पेंडलिय-पेंडवाल, खामोयरिय ११८ क्षामोदरी सुख-सुद्धवाल]
खार° १३७ क्षार (गु. खार) कुण्डलिय ४९ कुण्डलित = कुण्डलाकार Vखिज्ज=खिध, खिजउ १६५ कुंकुम ८७ (गु. कंकु)
खिन्नि १५१ खिन्न कुंज° १६४ क्रौञ्च [ गु. कुंजड़ें] खिलंतय १७४ V खिल्ल =कीइ (गु. कुंजर' १३३
खेलढुं) कुंद-चउत्थि १९५ कुन्दचतुर्थी (चउ- Vखिव ()खिवह १३७,२१० (क्षिपति) स्थि-गु. चौथ)
खिवंतिय १४०,१४१ द्योतन्ती कुंभ १००
| खित्त १३६, खित्तय १७८ क्षित Vकुण् = कृ, कुणइ १८३, कुणंति १४३ खिसिय २६ / खिस = सृप (गु. खसर्दू) Vकुणाकण (?) कुणाइ २१७ कुण खुव (खुवइ ८६ दूरीभवति (गु. खोदूं)
कणति (१) कुर्वन्ति, कुणंती १५५ खेम १५१ खेद कुप्पास २८% कूर्पास, कझुक कुरंगि ९७ कुरंगी
गय ५८, गइय १९१ गत कुवर २२२ कुप्यति
गय २६,८७, १०५, १७१ गति कुसुम १०६
गयण १३९ गगन कुसुमसर १३७°शर
गग्गिर २९ [ । गग्ग्+इर (1)] गद्गद कुहर ९२
Vगज = गर्जू (गु. गाजवू) गजति २२०, केलि १८०
गजत २०८, गजिउ १४२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org