Book Title: Sandesha Rasaka
Author(s): Abdul Rahman, Jinvijay, H C Bhayani
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

View full book text
Previous | Next

Page 249
________________ सन्देशरासकपद्यानुक्रमणिका पद्या १४२ १८२ १३६ ९३ १३८ १११ १९४ ६५ पद्याङ्क ९ णिवडलहरिघणअंतरि ११५ णिसि पहरद्ध णेय णदीयइ १६ णिसि सयणिह जं खित्तु १५ तइया णिवडंत णिवेसि १०४ तउ पिक्खिय दिसि ११ तणु घणसारिण चंदक्षिण १०० तणु दीउन्हसासि सोसिज्जा १४ तरुणिहि कंतपमुक्किय १२८ तवणतित्थु चाउद्दिसि १३२ तह अणरइ रणरणउ २१८ तह कंखिरि अणियत्ति १८५ तह तणओ कुलकमलो ६९ तह पत्तिहि संसग्गिहि | तहि सिहरि सुरत्तय | ता कहसु तेण किं सुमरिएण | ता केम पहिय णिसिसमए १५८ ताणऽणु कईण अम्हा' १५६ तिलउ भालयलि तुरकि ३८ तुय समरंत समाहि ९२ तुरिय णियगमणु इच्छंतु ६१ तुह विरहपहर संचूरिआई तुहु पुणु कजि हि आवलउ ते य विएसि फिरंतय १८६ २११ जइ परहुएहिं रडियं जइ पिम्मविओयविसं जइ बहुलदुद्धसंमीलिया। जह भरहभावछंदे जइ मइ णथि णेहु जइ मयगलु मउ झरए जइ वि रइविरामे ण? जइ सरवरंमि विमले जत्थ गओ सो सुहओ जम जीहह णं चंचल जल रहिय मेह संतविअ जलिउ पहिय सव्वंगु जसु णिग्गमि रेणुकरडि जसु नामु अलिक्कउ कहा जसु पवसंत ण पवसिआ जा जस्स कव्वसत्ती जामिणि गमियइ इम जामिणि जं वयणिज जालंधरिथंभजिया जिणि हउ विरहह कुहरि जंबीर सुहंजण नायरंग झसुरु कपूर बहुलु झिज्झउ पहिय जलिहि झंपवि तम वद्दलिण ठाहि ठाहि णिमिसिद्ध ढल्ल कुंद सयवत्तिय णटु मूलु पिअसंगि लाहु पत्थि तिहुअणि जंच णयरणामु सामोरु णवगिम्हागमि पहिय णाहु णवघणरेह विणग्गय णवमेहमालमालिय णहु दलियइ कप्पूरसरिसु णहु रहइ बुहा कुकवित्त णायणिवड पहरुद्ध णिअकवित्तह विज णिट्टर करुणु सद्दु मणमहि णियदइयह उकंखिरिय १३४ २१६ १२८ ११६ १४८ तंतीवायं णिसयं २७ २२३ तं जि पहिय पिक्खेविणु तं जं मेहल ठवड तं पहुंजिवि चलिय दीहच्छि दक्षिणमग्गु णियंतह दारयकुंडवाल तंडव दितिय णिसि दीवालिय १३० दीहउसासिहि दीहरयणी १२२ दूइजउ दूइय वरहिणिहिं दोहउ एहु पढेविणु ૨૮૮ धम्मिलह संवरणु न घणु २१ धवलिय धवल संख धूइजइ तह अगरु घुसिणु १९ धूव दिति गुरुभत्ति १६६ नर अउव्व विभविय ९४ नाएसरि मोडिम पूगमाल १५३ १५१ १६३ MOCAL . Wm Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282