Book Title: Samvegrati Author(s): Prashamrativijay, Kamleshkumar Jain Publisher: Kashi Hindu Vishwavidyalaya View full book textPage 4
________________ प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ। इस कार्य के लिए पूज्य मुनिश्री ने मुझे अवसर प्रदान किया उसके लिए में उनका हृदय से आभारी हूँ। ग्रन्थ का हिन्दी अनुवाद श्रीमती डॉ० कुसुमलता पटोरिया (नागपुर) ने किया है अतः इस पुनीत कार्य को सम्पन्न करने हेतु उन्हें हृदय से धन्यवाद देता हूँ। पूज्य मुनिश्री प्रशमरतिविजयजी महाराज के प्रस्तुत ग्रन्थ श्रीसंवेगरति का प्रकाशन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अन्तर्गत संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान सङ्काय के जैन-बौद्ध दर्शन विभाग द्वारा किया जा रहा है । इस ग्रन्थ के प्रकाशन में आर्थिक सहयोग पूज्य मुनिश्री के भक्तजन का रहा है। अतः मैं उन सभी लोगों के प्रति हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ, जिनका प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में इस ग्रन्थ के प्रकाशन में सहयोग रहा है। निर्वाण भवन - डॉ० कमलेशकुमार जैन बी २/२४९, लेन नं. १४, आचार्य एवं अध्यक्ष रवीन्द्रपुरी, वाराणसी जैन बौद्ध-दर्शन विभाग महावीरजयन्ती काशी हिन्दू विश्वविद्यालय चैत्र सुद १३ वाराणसी वि. सं. २०६५Page Navigation
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