Book Title: Samveg Rangshala
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Lehar Kundan Group

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Page 4
________________ श्री वीतराग देव का ध्यान करने वाला स्वयं वीतराग होकर कर्मों या वासनाओं से मुक्त हो जाता है। इसके विपरीत रागी देवों का आलंबन लेने वाला या ध्यान करने वाला काम, क्रोध, हर्ष, विषाद, राग, द्वेषादि दोष प्राप्त कर स्वयं सरागी ही रहता है। *to KO भरमग्रह पूर्ण होने के बाद देव पृथ्वी पर आयेंगे। ऐसा कहा जाता है, तो क्या आज किसी आचार्यदेव के पास देव आते है ? और उन देवों के पास कोई सहायता ली जा सकती है ? मेरे अनुभवानुसार कोई भी देव आज के इस क्षेत्र के आचार्य के पास आवे यह बनने जैसा नहीं दिखता। देव वर्तमान में तात्त्विक दृष्टि से नहीं आते फिर मदद की बात कहां रहती है। भरमग्रह पूर्ण होने के बाद देव पृथ्वी पर आयेंगे ऐसा जाना नहीं है। - प्रश्नोत्तर कर्णिका कल्याण मासिक वर्ष ३६ अं. ४-५, जुलाई-अगस्त १९८०. ਬਹੁਰਿੰਣਾ ਦਾਬ ਵਦਾ ਧਦ ਦੌਰਗ ਸਗਰ ਦੇ ।

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