Book Title: Samveg Rangshala Author(s): Jayanandvijay Publisher: Lehar Kundan Group View full book textPage 2
________________ संवेग शब्द का अर्थ संवेग रंगशाला नामक इस ग्रंथ में स्पष्ट रूप से दर्शाया है = संवेग यानि भव-संसार का भय और मोक्ष की अभिलाषा संसार का भय रोग को मिटाता है, मोक्ष की अभिलाषा आत्म शक्ति को प्रकट करती है। हमारे दैनिक क्रियाओं के सूत्रों में भी संवेग की बातें। 'अनेक प्रकार से आयी हुई है उसमें सर्वश्रेष्ठ सूत्र प्रार्थना सूत्र और उसमें प्रथम प्रार्थना 'भवनिव्वेओ' । भव निर्वेद्र संसार पर अरुचि अर्थात् संसार का भय, भय जनक पदार्थ पर ही अरुचि होती है। दुक्खक्खओकम्मक्खओ = दुःखों का क्षय-कर्मों का क्षय अर्थात् मोक्षाभिलाषा। ऐसे अनेक प्रकार के शब्दों के प्रयोग। द्वारा संवेग रसायण की बातें गुंथी हुई है। जयानदPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 308