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2001
SAMAYASARA
331. Further neither karmic prakrti nor jiva. is able to produce wrong belief out of karmic matter. Therefore it is not karmic materials that become wrong-belief. Snch a view is entirely erroneous.
COMMENTARY Thus it is established that the Self is the causal agent of the karma which is the effect.
Next it is pointed out that nescience, etc. are all produced by karma.
कम्मेहि दु अण्णाणी किज्जइ गाणी तहेव कम्मेहि । कम्मेहि सुवाविज्जइ जग्गाविज्जइ तहेव कम्मेहि ॥३३२॥ kammehim du annani kijjai nāņi taheva kammehim kammehim suvāvijjai jaggāvijjai taheva kammehim (332) कर्मभिस्तु अज्ञानी क्रियते ज्ञानी तथैव कर्मभिः । कर्मभिः स्वाप्यते जागर्यते तथैव कर्मभिः ॥३३२॥ कम्मेहि सुहाविब्बइ दुक्खाविनइ तहेव कम्मेहिं । कम्मेहि य मिच्छत्तं णिबइ णिनइ असंजमं चेव ॥३३३॥ kammehim suhavijjai dukkhāvijjai taheva kammehim kammehim ya micc hattar nijjai nijjai asamjamam ceva (333) कर्मभिः सुखीक्रियते दुःखीक्रियते तथैव कर्मभिः । कर्मभिश्च मिथ्यात्वं नीयते नीयतेऽसयमं चैव ॥३३३॥ कम्मेहि भमाडिब्बइ उड्ढमहो चावि तिरियलोयं च । कम्मेहि चेव किबइ सुहासुहं जेत्तियं किंचि ॥३३४॥ kammehir bhamadijjai uddhmaho cāvi tiriyaloyam ca kammehim ceva kijjai suhasuhain jettiyam kimci (334) कर्ममिम्यिते ऊर्ध्वमधश्चापि तिर्यगलोकं च । कर्मभिश्चैव क्रियते शुभाशुभ यावकिंचित् ॥३३॥ जम्हा कम्मं कुव्वइ कम्मं देहें हरइत्ति जं किंचि । तम्हा उ सव्वजीवा अकारया हुंति आवण्णा ॥३३५॥ jamha kamman kuvvai kammam dei haraitti jam kimci tamha y sávvajivā akaraya humti avannā (335)
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