Book Title: Samadhi Shatakam Satikam
Author(s): Manilal N Doshi
Publisher: Girdharilal Varma
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(७) बहिरन्तःपरश्चेतित्रिधाऽत्मासर्वदेहिषु। उपेयात्तत्रपरमंमध्योपायादहिस्त्यजेत्।
कतिन्नेदः पुनरात्मा नवति येन विवितमात्मानमिति विशेष्योच्यत इत्याशङ्कया ह। बहिरिति। बहिरात्मा। अन्तः अन्तरात्मा। परश्च परमात्मा। इत्येवं त्रिधाऽत्मा त्रिप्रकार आत्मा। क । सर्वदेहिषु सकामाणिषु । ननु अनव्येषु बहिरात्मन एव संजवात् कथं सर्वदेहिषु विधाऽत्मा स्यादित्य. प्यनुपपन्नम् । तत्रापि व्यरूपतया त्रिविघात्मसनावोपपत्तेः। कथमन्यथा तत्र पञ्च. ज्ञानावरणान्युपपद्यन्ते । केवलज्ञानाद्या. विविसामग्री हि तत्र कदाचिदपि न नविष्यतीत्यनव्यत्वम् ।न पुनस्तद्योग्यव्य. स्यानावादिति । नव्यस्यापेक्षया वा सर्वदेहि. ग्रहणम्।आसनदूरदूरतरनव्येषुजव्यसमा
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