Book Title: Sachoornik Aagam Suttaani 06 Dashvaikaalik Niryukti Evam Churni Aagam 42
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 343
________________ आगम (४२) भाग-6 "दशवैकालिक- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य +चूर्णि:) अध्ययनं [९], उद्देशक [४], मूलं [५...] / गाथा: [४५४-४६०/४७१-४८४] नियुक्ति: [३२९.../३२७...], भाष्यं [६२...] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४२] मूलसूत्र-[०३] दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि प्रत सूत्रांक वैकालिकादा निक्षपाः १० [१-५] गाथा ||४५४४६०|| श्रीदश-18| परममहिढिएमु भवइ, अनेसु वा चेमाणिएम इंदसामाणियादिसु महिडिओ भवड, पेमि नाम तीर्थकरोपदेशात, न स्वाभि-131, प्रायेणेति, इदाणी गया-'णायंमि गिणियन्वे०॥ गाहा, 'सब्वेसिपि णयाण.' ॥ गाहा, पूर्ववदिति ।। IN भिक्षुपदयो चूर्णी. विणयसमाहीअज्झयणं सम्मत्तम् सभिवध्य एतेसु नवसु अज्मयणत्थेसु जो पट्टा सो मिक्ख , एतेण अभिसंबंधेणागतस्त दसमझयणस्स चत्तारि अणुयोगदारा जहा | आवस्सए, नवरं नामनिष्फण्णो निक्खेबो सभिक्खू, सगारो निक्खिवियवो, भिक्यू य निक्खिावियचो, तत्थ पुर्व सगारो ३०॥ भण्णइ, सो चऽबिहो, संजहा-नामसकारो ठवण दव्य भावसगारो यत्ति, णामठवणाओ गयाओ, दवसगारो दुविहो, तंजहा-आगमओ जोआगमओ य, आगमओ जाणए अणुबउत्ते, नोआगमओ विविहो, तंजहा-जाणयसरीरदबसगारो मवियसरीरदम्पसगारो जाणयसरीरभवियसरीरवहरितो दन्यसगारोति, तत्थ जाणगसरीरदबसगारो जीवो सगारजाणओ तस्स जे सरीरगं जीयरहियं पुन्वभावपण्णवर्ण पहुच्च, जहा अयं घयक आसि, एस जाणगसरीरदब्बसगारो, इयाणी भवियस-1 रीरदब्बसगारो जो जीवो सगाई जाणिहित्ति अणागयभावपण्णवणं पडुच्च, जहां अयं घयकुंभे भविस्सइ अयं महफुमे भविस्सइ, इदाणि जाणगसरीरभवियसरीरबहरिचो इमेण गाथापुब्बद्धण भण्णाइ-निसपसंसाए०१॥३३१ ॥ अद्धगाथा, सगारो |तिसु अत्थेसु परह-निदेसे पसंसाए अस्थिभावे य, निदेसे जहा से णं तो अणंतरं उब्वट्टित्ता इव जंबुद्दीवे एवमादि, पसंसाए । हा जहा पुरिसा सप्पुरि सेहि सम वसंता भवति पुरिसुत्तिमा वरिंदनीलमरगयमणिणो व जच्चकणमसहसंबद्धा एवमादि) आस्थ ॥३३०|| भावे जह समयं अमुर्ग कज्जति एवमादि, वसगारो भपिओ, भावसगारो णाम जो जीपो सगारोवउचो सो भावसगारो CALSCRECANARAHARASHTRA दीप अनुक्रम [४७१४८४] → अध्ययनं -९- परिसमाप्तं अध्ययनं -१०- 'स-भिक्षु' आरभ्यते [343]

Loading...

Page Navigation
1 ... 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398