Book Title: Sachoornik Aagam Suttaani 06 Dashvaikaalik Niryukti Evam Churni Aagam 42
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad

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Page 363
________________ आगम भाग-6 “दशवैकालिक'- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य|+चूर्णि:) (४२) | चूलिका [१], उद्देशक , मूलं [१/५०६-५२४] / गाथा: [४८२-४९९/५०६-५२४], नियुक्ति: [३६१-३६९/३५९-३६७], भाष्यं [६२...] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४२] मूलसूत्र-[०३] दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि प्रत सूत्रांक [१] - चूगी. गाथा ||४८२४९९|| --- श्रीदश- ठवणाओ गयाओ, दम्वचूला इमेण गाथापुब्बद्धण भण्णइ, तंजहा-'बब्बे सञ्चित्तादी ॥३६२॥ अद्धगाथा, (सा विविहा) तं०18 रतिकालिक सचित्ता अचित्ता मीसिया, तत्थ सचित्ता कुक्कुडस्स चूला सा मत्थए भवई, अचित्ता चूलामणी, सा य सिरे कीरई, मीसिया मयू निक्षेपाः रस्स भवति, एवमादि दबचूला भणिया । इदाणि खत्तचूला मण्णइ-'खेतमि लोगनिक्कुड०॥३६२ ॥ गाहापच्छदूं, श्रतिवाक्य खेचचूला लोगणिकृडाणि, मंदरस्स पव्ययस्स चूला कूडा य एवमादि खेचचूला भण्णाइ, अहवा अहे लोगस्स सीमंतओ अचि-| चूला होतो, तिरियलोगस्स मंदरो। याणि भाषचूला भाइ सा य इमा, तंजहा-'भावे स्वओवसमिए०॥ ३६३ ।। गाथापुष्वद्धं, ॥३५०॥अभावचूलाओ इमाओ चेव दोष्णि चूलाओ, कई, जम्दा सुतं खओयसमिए भावे, एयाआ दोचि चूलाओ खोचसमियाश्री। काऊण भावचूलाओ भवंति, तत्थ पढमं रतिवक्कत्ति अज्झयणं, तस्स चत्वारि अणुयोगदारा जहा आवस्तए णवरं णामणि फण्णे २६वक्क, दोऽवि पया रती य वक्कं च, तत्थ रतीह चउक्कनिक्खेवो, तंजहाणामरती ठवण दब० भावरती य, नाम-1 पाठवणाओ गयाओ, दब्बरती भावरती य तप्पसंगेण अरती इमाए गाहाए भण्णइ, तंजहा-(चूणी तु) 'दब्बरसगंध (दुग्वे वुहा ६उ कम्मे०) ॥३६४॥ गाहा, दवरती दुविहा, तंजहा-कम्मदवरती.णोकम्मदश्चरती य, तत्थ कम्मदवरती नाम रतावणिज्ज कम्मं बर्द्धन ताव उदिज्जइ एस कम्मदब्बरती, नोकमादधरती-सहरसरूवगंधफासदच्याणि रतीकराणि णोकम्मदवरती भण्णइ, दब्बरती गता। इदाणि भावरती भषणइ, सा य उदएण भवइ, कई ?, तमेव रतिवेयणिज्जं कर्म जाहे उदिवं ताई भावरती भण्णइ, एवं अरइवि चउचिहा, जहा-नामअरहे ठरण दर भावअरईति, नामठवणाआ तहब, दमाराला॥३५०॥ दुविधा, तंजहा-कम्मदव्यभरती णोकम्मदबअरती, अरईवेयणिज्ज कम्मं बद्धं न ताव उदिज्जइ एसा कम्मदब्बअरती २ दीप अनुक्रम [५०६५२४] 43 ... 'रति' शब्दस्य निक्षेपा: दर्शयते [363]

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