Book Title: Sachoornik Aagam Suttaani 06 Dashvaikaalik Niryukti Evam Churni Aagam 42
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
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आगम (४२)
भाग-6 “दशवैकालिक"- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य +चूर्णि:) चूलिका [१], उद्देशक , मूलं [१/५०६-५२४] / गाथा: [४८२-४९९/५०६-५२४], नियुक्ति : [३६१-३६९/३५९-३६७], भाष्यं पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र-[४२] मूलसूत्र-०३] दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणिरचिता चूर्णि
प्रत
सूत्रांक
अवधा2वनफलं
[१] गाथा ||४८२४९९||
श्रीदश- वादी य सिलोगा मणिता, जे पुण इर्म न मे दुक्खं चिरकालोवद्यायी भविस्सहात आलंवर्ण, तदुपदेशार्थ इदमारभ्यते-'इमस्स ताला वैकालिकानेरइअस्स०॥४९६॥च, इमस्स'ति अप्पणो अप्पनिदेसो, तासद्दो अवधारणे, इमस्स ताव किमुत बहणं संसारीण?,'नेरइअस्स चूर्णी. जंतुणो' ति, जहा अहमेव नेरइएसूचवमो तस्स दुक्खाणि नरओवमाणि दुक्खेहि वा तप्पायोग्गेहि मरणमुवणीतस्स दुहोवणी२ चूला तस्स निमेसमेत्तमवि नस्थि मुहमतिकिलसवत्तिणो, तहचव तस्स पलिओवमद्वितीएसववनस्स तप्पभूओ कालो तहाचि सहिज्जा,
किंबहणा, तओवि पभूततरं सागरावम, किपुण-किंमगंतु, अहया असमन्तआमतणं, संजमे अरइसमावन अप्पाणमामन्त्रयति, द थिरीकरेह य, 'मज्झ' इति ममं 'इम' इति जं अरतीमयं अपणो पच्चक्खेण 'मणोदुह' मिति मणोमयमेव, न सारीरदुक्खाणु
गर्य, ओहाणुप्पेहिस्स चित्तथिरीकरणालंबणत्यमिदमुपदिसते–'न मे चिरं दुक्यमिणं भविस्सइ.' ॥ ४९७ ॥ धृतं, 'न' इति पडिसेधे, 'मे' इति अप्पणो निदेसे, न मर्म चिर-दहिकालं, दुक्खमिति संजमे अरइसमुप्पत्तिमयं, भविस्सतीति आगामिकालनिदसा, तं एवं मम संजमे अरइमयं दुक्खं न चिरकाली मिर्ण' ति जंनिमित्तं च अहं संजमाओऽवसप्पितुं वयसामि, 'असासया
भोगपिवास जंतुणो' इमस्स मम जीवस्स, 'ण चे (मे) सरीरेण इमेणऽविस्सइ' ति, एत्थ काकू गम्मो, जइसहस्स
मा अत्थो जइ दुक्खमिण इमेण उप्पाइयेण सरीरेण न अवगच्छिज्जइ, परगमनं पज्जाओ अन्तगमणं, ते पुण जीवस्स पज्जाओ मरण.., मेव, जइ इमेण सरीरेण तस्स अरइदुक्खस्स अन्तो न कन्जिहिति तहानि कित्तियमेव पुरिसाउमिति तदन्ते अरतीवुक्खस्स ॥३६५।।
| अन्त एवेति अरतिमाहियासेज्जा सरीरत्ति, एवमिदं सव्वं जाणिऊण रमेज्जा तम्हा परियाए पंडिते, संजमे रहनिमित्त आलंबणातरमुवाहियस्स सुद्धस्सालवणस्स फलोपदरिसणस्थमिदमुच्यते-'जस्लेवमप्पा उ हविज्ज निच्छिओ' ॥४९८॥ वृत्त, जस्सेति |
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दीप अनुक्रम [५०६५२४]
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