Book Title: Rushidattras
Author(s): Jayvantasuri, Nipuna A Dalal, Dalsukh Malvania
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 10
________________ प्रस्तावना प्रतपरिचय १) अ-ला. द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिरना हस्तप्रत.संग्रहनी १५२६५ क्रमांकवाळी प्रत, पत्र ३२, पत्रदीट पंक्ति १२, पंक्तिदीठ अक्षरो आशरे ४०. लेखन वर्ष वि. स. १६६५. पानानु माप २६.१४११ से.मी. छे. बन्ने बाजु हांसियो ३ से.म.ना राखेलो छे. उपर-नीचे १.२ से.मी. जग्या कोरी राखेली छे. __ आ प्रत कोई विद्वान लहियाना हाथे लखायेली लागे छे, जेथी वाक्यरचना सुसंगत छे अने अर्थ काढवामां मुश्केली नथी पडती. अनी पुष्पिका नीचे प्रमाणे छे : “संवत १६६५ वर्षे वैशाख वदि १२ दिने श्री गंधारवास्तव्य पटुआ पासवीरलिखित सकलवाचव.मंडलीतिलकायमान - वाचकचक्रचक्रवर्ति-महोपाध्यायश्रीविमलहर्ष. गणिचरणवञ्चरीकायमाण-देवविजयामिवाचवार्थ शुम भवतु ॥ कल्याणमस्तु ॥ श्रीस्तु श्रीश्रमणसंघस्य" (२) ब-देवसाना पाडाना भंडार संग्रह, अमदावादनी प्रत. पत्र २१, पत्र दीठ पंक्ति १२, पंक्तिपीठ अक्षरी ४०. (३) क–देवसाना पाडाना भंडार संग्रह, अमदावादनी प्रत. पत्र ३०, पत्रदीठ पंक्ति १४, पंक्तिदीठ अक्षरो ३५. पानानु मा५ २२.३४१०.२ से.मी. छे. ड–महावीर जैन विद्यालय, मुंबईना ह.लि. प्रतिभंडारनी प्रत. क्रमांक सं. ४४२, पत्र २७, पत्रदीट पंक्ति १३, पंक्ति दीठ अक्षरो ३७. (५) ई-महावीर जैन विद्यालय, मुबईना ह.लि. प्रतिभंडारनी प्रत, क्रमांक ४४३, पत्र २६ पदीट पंक्तिओ १३, पक्तिदीठ अक्षरो ४५. पानानु माप २६.२४११.२ से.मी. छे. (६) फ-गोडीजी उपाश्रयना ह.लि. भंअर, मुंबईनी प्रत, क्रमांक १२०३, पत्र २५, पत्रदीट पंक्तिओ १३ थी १४, पंक्ति दीठ अक्षरो ४०, लेखन वर्ष १६५९. पानानु माप २६४११.१ से.मी. छे. उपलब्ध प्रतोमां आ प्रत सौथी जूनी छे, परंतु एनी स्थिति सामान्य छे. प्रत पाणीथी भीजायेली छे, जेथी पत्रोनु लखाण झांखु अने आछु थई गयु छे, क्यांक अक्षरो पण भुंसाई गया छे, छतां बीजी प्रतना आधारे वांची शकाय, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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