Book Title: Ranpingal Part 01 Author(s): Ranchodbhai Udayram Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir vvvvvvvvvv प्रस्तावना, अर्थात् ) अनुष्टुप् छंदवडे यजन करवु. बृहति छंदवडे गान करवं अन गायत्री छंदवडे स्तुति करवी इत्यादि. __धार्मिक दृष्टिये जोतां छंदोनुं गौरव अने माहात्म्य आटलं बधुं छे तेथी ए शास्त्रनुं थोडंक पण ज्ञान प्रत्येक मनुप्य माटे परमावश्यक छ एम मानवामां बाध नथी. आपणा ऋषिवरोए जेटला ग्रंथ निर्माण कस्या छे ते सघळा प्रायः छंदोबद्ध छे. वेद, स्मृति, पुराण, धर्मशास्त्र, ज्योतिष, शिल्पशास्त्र, वैद्यक इत्यादि ग्रंथो छंदोबद्ध ज जोवामां आवेछे. ते जो छंदोगौरव एवडे बधुं न होत तो आपणा महार्पओए एने माटे आवडो बधो परिश्रम उठाव्यो होत नहि. धार्मिक दृष्टिने एक बाजु राखी लौकिक नजरे जोवा जतां पण छंदोगौरवमां कशी न्यूनता नहि नोवामां आवे. छंद जेने आपणे हाल सामान्य कविताना नामथी ओळखिये छिये ते "बाह्य सत्यको जीवतरनी खोखरी प्रतिमा छे.” एक महान् कवि ते द्वारा कोइपण वस्तु, सृष्टिसौंदर्य वा जनस्वभाव- वर्णन करतां जे विचारो प्रकट करेछे ते, ते वेळा जे कारणथी उत्पन्न थया होयछे ते कारण नष्ट थइ गया पछी पण, आश्चर्य उपनावे तेवी रीते त्यांना त्यां, तेवीन एटले तेनी मूळ स्थितिमांज जडायारोपाया रेहेछ. जो कवितानुं अस्तित्व न होत अने तेनी खरी खूबी जन समाजना मनमां न रोपायली होत, तो रामायणादि. महा काव्योनी प्रसादी ने हाल आपणे महत् प्रेमथी प्राशिये छिये ते पामवानो समय आवत नहि; अने वाल्मिकि, कालिदास, भवभूति, भारवि, पतंजली, शंकराचार्य अने बीजा महान् काव्य करनाराओनां नाम आपणा श्रवणपर पण आववा पामत नहि. परंतु स्थिति तेथी उलटी छे. मनुष्य मन प्राचीन काळयी * Poetry is the very image of life in its external truth. For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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