Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 5 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना.. कां गया अने तेमने छंदः शास्त्र शा माटे बनावयुं पडये. ए. संमां एक दंतकथा चाल्छे ते वांचनारने रमुन आपशे एम जाणी अत्र आपिये छिये.. शेषनागनुं बीजं नाम पिंगलनाग है. ए पिंगलनाग पोता, पर केवल पृथ्वी रही छे ते जोवानी इच्छा थतां स्वरूपान्तरे ब्राह्मणनो वेश लङ् सृष्टिपर तेनुं सौंदर्य जोता जोता विचरवा खग्या. आ वात गरुडना जाणवामां आवतां तेमने तेमनी साथे, प्रसिद्ध वैर होतां तेने मारी खावानी इच्छाथी तेनी पूठ पकडी. बाम गना रूपमा नाग आगळ अने गरुड पाछळ, एम दोडवा लाग्या. गरुड ब्रेक पासे आयो गयो अने ते तरत ज मारी खाशे एवं. ज्यारे तेने जणायुं त्यारे ते उभो रह्यो, अने मोतमांथो बचवा माटे कई उपाय सूझी आव्यो होय एम डोळ करी गरुडने विनववा. लाग्यो के, हे नागारि! हुं कवि छु, मारुं कौशल्य जुओ. जे हुं. एक वखत लखीश ते फरीने लखीश नहि. लखाइ गयेल अंक फरी आपना जोवामां आवे तो मने सुखथी खाइ जवो. गरुड - आ बात रुची तेथी तेम करवा देणे पिंगलने सूचना करी. एटले ब्राह्मणना शमां रहेला पिंगलनागे एक अक्षरथी आरं भी छतीश अक्षर पर्यंतना प्रस्तारमां जेटला जेटला भेद थता हता ते सरखतो जइ छेवट समुद्रना किनारा पासे ते जड़ पोहोच्यो, दरियो पछि अने ते मार्गे गरुडना पंजामांथी बनी जवाशे एम तेने नक्की जणायाथी छेवटे एक वृत्त करी राणीमा पेशी गयो. जन्मां ऐसततं नाग ने हेल्लं वृत्त बोल्यो ते वृत्त एटा माये भुजंगप्रयात नामे ओळखायछे. केटला एक एम के हेले के, लौकिक छंदःशास्त्रना मूळप्रवपिंगलाचार्य केहेवायचे. एमनां बीनां नाम पिंगलनाग, पिंगलमुनि छे. वळी केटलाक एस पण केले के, वेदना महा भाष्पना रचनार पतंजलि हता, तेनुं बीजुं नाम पिंगलाचार्य, For Private And Personal Use Only

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