Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावनी. पाडवानी जरूर जगाइछे अने जेने माटे पूर्वाचार्योना नक्की करेल नियमो मळी आव्या छे ते दाखल करेल छे. ते तळे जरुर जोग स्पष्टीकरण होयछे तो ते. अपाया बाद, प्रत्येक छंदनी रचनानो नियम ते छंद अथवा जातिना एक पादने माटे आपेल छे अने ते आपतां नियम अने उदाहरण साथे आवी जाय असे ग्रंथनो वृथा विस्तार न थाय, तेनी संभाळ राखामां आवी छे. प्रत्येक जाति अथवा छंदना नियम माटे उदाहरण रूपे आपवामां आवेल जात्यादिनां प्रत्येक पद छंदने लगती मात्रा अथवा वर्णना प्रस्तारजन्य कटेलामा रूपने लगतां छे, तेनी संख्या प्रत्येक छंदना प्रतिपादनी साथे लखवामां आवेल छे. मात्रिक सम अने विषम मात्रिक, एम पृथक् पृथक भेद पाडी ए वर्गना छंदोर्नु कोइ पण पूर्वाचार्योए जूदं वर्णन कस्यं नथी, ते अमे पिंगल शास्त्रना अभ्यासिओनी सुगमता माटे खास विस्तृत करी, क्रमवार आ ग्रंथमा दाखल करेल छे. तेम करवामां तदन्तर्गत आर्या अने वैतालीय छंदन ते ते नाम तळेना प्रकरणमां तेना भिन्न भिन्न जेटला भेद पडेछे, ते सहित विस्तार पूर्वक वर्णन करेल छे. ___ वैदिक छंदोने बाजुए मूकतां बाकीना वर्णमेल छंदोमांना घणारखरा लौकिक वर्णमेळ छंदो गणबद्ध छे. छंदोरचनानो नियम आपतां अमुक गण अमुक स्थळे लाववो, एम केहवामां इष्टगण आयुं नाम आपवा जतां, नियम अने उदाहरण एक न वृत्तमां आवी शके नहि; एटला माटे पिंगलादि आचार्योए पूर्वथी प्रणालिका पाडी छे, ते प्रमाणे ते ते गणना आद्याक्षराने न. ते ते गण सूचववा माटे लक्षणमा आपवामां आवेल छे. ____मात्रिकजाति प्रकरणमां जरूर जाग स्थके टगणादि प्राचीन मात्रिक गणोनो उपयोग कस्यो छे अने ज्यां तेवी गणनानी जरुर नथी जणाइ, त्या उदाहरणना उपर अने छंदना For Private And Personal Use Only

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