Book Title: Ranpingal  Part 01
Author(s): Ranchodbhai Udayram
Publisher: Kutchh Darbari Mudrayantra

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना. क्रिया आपवामां आवेल छे. ते क्रममां गगछंद मात्राछंद (जाति) नो पेटाभेद होतां क्रमवार मात्राछंदोमां तेनी गणना करवी सारी लागवाथी में मात्रिकगण छंदने मात्रामेळ जातिना प्रकरणमां भेळ्वी दीधा छे, अने कया छंद पछी कया छंद अथवा जातिनुं माप अने उदाहरण मूकवां एवो खास नियम न होता पांचमात्राथी आरंभी १२० मात्रा सुधीमा क्रमवार जे जूदा जूदा छंद अने जातिओ बनछे अने जेनां नाम पूर्व छंदःशास्त्रकारोए नक्की करेल छे ते विषयवार ‘आपेल छे. तेथी कोइ 'ण संख्यानी मात्रा अथवा वर्णनो छंद बनावबानो विधि अथवा उदाहरण ग्रंथमां को स्थळे छे ए तुस्त ज मधे आवशै. . अमुक मात्राना छंदनुं ग्रंथांतरोमां कयुं नाम छ; अथवा ते नामना बीना छंदोमां शो शो तफावत छैए पिंगलना अभ्यासीने जाणवू अगत्यनुं होतां घणाखरा प्रत्येक छंदनी नीचे पूंटनोटमां तेमनां नामो अने तेमना तफाक्तनां विवरण साथे तेना योजक अथवा ग्रंथनां सम साथे आपवामां आवेल छे.. छंदःशास्त्र जैम सरल होय तैम लाभदायक छे. अने जेटलं कठिन होय तेटलुं संशयात्मक थइ पड़े; कारण के, जो छंदोनियम कठिन होय अथवा तेमा गडबड होय तो तेथी ते विद्याना अनुरागियो अने अभ्यासियोने गुंचत्रारो पडेछ माटे क्लिष्टता दूर करी, छंदोरचना सुलभ थाय भने ते साथे ग्रंथरचना पण उदाहरण टीका अने विवरणने लीधे अति विस्तारवाळी थइ न जाय, एनी संभाळ राखी प्रत्येक जाति, वृत्त अने छंदना नियम आपवामां में नीचे प्रमाणे गोठवण राखी छे. प्रत्येक जाति अथवा छंदना नामनी जोडे ग्रंथान्तरोमां तेनां शां नाम छे, ते केटली मात्रा अथवा वर्णनो छे, ते जणाववामां आवेल छे. ते तळे तालना नियमसर ज्यां ज्यां तेना-टुकड़ा For Private And Personal Use Only

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