Book Title: Punyadhya Charitram Author(s): Vardhamansuri Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 4
________________ AAAAAAAAAAAma पुण्याचे / चरित्र सान्वय भाषांतर अर्थी ते नगरमा क्षत्रिओना संग्रामनी दानशालासरखा, तथा जगतरूपी कमलने (विकस्वर करवामी) सूर्यसरखो तपन नामनो। राजा हतो. // 3 // . . हस्तिरत्नं गृहीत्वात्र व्यवहारी धनावहः / कदाचिदाययौ कृष्टो भूपभाग्यगुणैरिव // 4 // अन्वयः-अत्र कदाचित् धनावहः व्यवहारी हस्तिरत्नं गृहीत्वा भूपभाग्यगुणैः कृष्टः इव आययौ. // 4 // अर्थः-त्या कोइक दिवसे धनावह नामनो व्यापारी (एक) उत्तम हाथी लेइने जाणे ते राजाना भाग्यगुणोथी (दोरीथी) खेंचायों शेय नही! तेम आव्यो. // 4 // भाग्याभोगेन भूपानां रत्नमेतीदृशं भृशम् / इति दक्षैस्तदा पुम्भिः ख्याते तत्कुम्भिगौरवे // 5 // . असामान्यो गुणैर्मान्यो ममायमिति तस्य सः। ययो कुञ्जरराजस्य सम्मुखं राजकुंजरः॥६॥ युग्मम् // अन्वयः-भूपानां भृशं भाग्यामोगेन ईदृशं रत्नं एति, इति दक्षैः पुंभिः तदा तत्कुंभिगौरव ख्याते // 5 // गुणैः' असामान्य SUA Jun Gun Aaradhak ThisPage Navigation
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