Book Title: Punyadhya Charitram Author(s): Vardhamansuri Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 8
________________ PROMOTES पुण्याढ्य चरित्रं DOOD सान्वय भाषांतर // 7 // // 7 // अर्थ:-शास्त्रोमां व हेला गुणोवाळा, तथा सर्व प्रकारना उत्तम लक्षणोवाळा हाथीओना उदाहरणसरखो आज हाथी आजे (अमोए) जोयो छे. // 13 // भूपस्य यस्य कस्यापि स्यादसौ द्वारभूषणम् / संसाधयति दुःसाधानप्यरींल्लीलयैव सः॥ 14 // . अन्वयः-असौ यस्य कस्यापि भूपस्य द्वारभूषणं स्यात्, सः दुःसाधान् अपि अरीन् लीलया एव संसाधयति. // 14 // अर्थः-आ हाथी जे कोइ राजाना द्वारने शोभावे, ते राजा दुःसाध्य शत्रुओने पण फक्त क्रीडामात्रमाज जीती शके. // 1 पदं कृतयुगस्येव निरीतिः सुकृतकः / एतदन्तिभृतो भूमिभर्तुदेशोऽपि शोभते // 15 // ... अन्वयः-एतदंतिभृतः भूमिभर्तुः देशः अपि कृतयुगस्य पदं इव निरीतिः सुकृतकभूः शोभते. // 15 // . अर्थः-आ हाथीनी मालिकीवाला राजानो देश पण सतयुगना मारंभनी पेठे निर्भय तथा पुण्यनाज एक स्थान सरखो शोमे एम छे.।१५। स्वामिन्न स्यादमूल्यस्य मूल्यमस्य गजस्य तत् / याचते यदणिग्याग्देयं देव तदेव हि // 16 // Bloemenda Daceecxccccesresences Jun Gun Aaradhak Trust PPA Curcum MSPage Navigation
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