Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 7
________________ OC9DIOSSESSERIES पुण्याय चरित्र अर्थः-आ हाथी उंचो होवाथी जाणे अरावणना गुणो लेवानी इच्छावाळो होय नही ! तेम ते अरावणने मळवाने खरेखर आका- सान्वय भाषांतर शनी अंदर रहेला मेघनी पेठे गर्जना करे. // 9 // वळी आ हाथी इंद्रना हाथीनी स्पर्धाथी जशवडे उज्ज्वल थयोथको इंद्रपणाने लायक एवा भाग्यशालीओनाज वाहनरूप थाय छे एवी हुं शंका करूंछु, // 10 // एम विचारता एवा ते राजाए ते व्यापारीनुं सन्मान / कर्या बाद हाथीना परीक्षकोने तेनी किम्त आंकवामाटे हुकम कर्यो. // 11 // त्रिभिर्विशेषकं // निरीक्ष्य लक्षणान्यस्य द्विरदस्य विशारदाः। जगदीशंजगुलोलमौलयः पुलकाङ्किताः॥१२॥ ... . __ अन्वयः-अस्य द्विरदस्य लक्षणानि निरीक्ष्य लोलमोलयः पुलकोकिताः विशारदाः जगदीशं जगुः // 12 // KARAN अर्थः-आ हाथीना लक्षणो (शुभचिह्नो) जोइने मस्तक धुणावता अने रोमांचित थयेला (ते) परीक्षको राजाने कहेवा लाग्या के, / 12 / शास्त्रोक्तानामदोषाणां सर्वसल्लक्षणस्पृशाम् / हस्ती दृष्टोऽयमेवाद्य द्विरदानामुदाहृतिः॥१३॥ - अन्वयः-शास्त्रोक्तानां अदोषाणां, सर्वसवलक्षणस्पृशा द्विरदाना उदाहतिः अयं एच हस्ती अद्य दृष्टः // 13 // 0000000 GeecemeIECOGNIGGESIDEOS P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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