Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 10
________________ पुण्याढ्य चरित्र // 9 // सान्धय भाषांतर // 9 // अर्थः-विंध्याचलरूपी राजानो जाणे युवराज होय नही! एवो आ अति मनोहर हाथी हालमा हाथी पकडनाराओमा प्रख्यात इथयेलो छे. // 18 // खदारिद्यदुमद्रोहकृतेऽसौ केन केन न / महोपायसहस्रेण धर्तुमारभ्यताभितः // 19 // अन्वयः-स्व दारि दुम द्रोह कृते केन केन महोपाय सहसूण असौ अभितः धतुं न आरभ्यती // 19 // अर्थः-पोताना निर्धनपणारूपी वृक्षने उखेडी नाखवा माटे कोणे कोणे हजारोगमे महान् उपायोवडे आ हाथीने चोतरफथी पकडवा नहोतो मांड्यो॥ 19 // वितन्वतीभिः साम्यं वा वैषम्यं वा किमप्ययम् / बधुं शेके न वारिभिर्नारीभिरिव संयमी // 20 // अन्वय:-किमपि साम्यं वा वैषम्यं वा वितन्वतीभिः नारीभिः संयमी इव वारीभिः अयं बधुं न शेके. // 20 // / अर्थ:-गमे ते पकारना अनुकूल अथवा प्रतिकूल उपायो अजमावती स्त्रीओथी जेम महामुनि, तेम मावतीथी आ हाथी बांधी a MANY RapeMalMBINE Jun Guns

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