Book Title: Punyadhya Charitram Author(s): Vardhamansuri Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 9
________________ OSE fa 0909098001062009090990 NISHERS पुण्याय चरित्र // 8 // 4 सान्वय भाषांतर मा // 8 // अन्वयः-(हे) स्वामिन् ! अस्य अमूल्यस्य गजस्य मूल्यं न स्यात् , तत् (हे) देव! वणिक यारा यद् याचते, तदेव हि देयं.॥१६ अर्थ:-हे स्वामी ! आ अमूल्य हाथीनुं मूल्य थइ शके एम नथी, माटे हे देव! आ व्यापारी जेवू अने जे मूल्य मागे, तेज मूल्य खरेखर तमारे आप. // 16 // किं ते मूल्यं ददामीति राशि प्रीतेऽथ पृच्छति / व्याहारि व्यवहारैकहारिणा व्यवहारिणा // 17 // अन्वय:-अथ ते कि मूल्यं ददामि ? इति पीते राज्ञि पृच्छति व्यवहारकहारिणा व्यवहारिणा व्याहारि // 17 // अर्थः-हवे तमोने ( आ हाथीनुं ) शुं मूल्य आपु ? एम (ते ) खुशी थयेला राजाए पूछता व्यापारथी शोभता एखाते। व्यापारीए का के, // 17 // स्वामिन्विन्ध्याद्रिराजस्य युवराज इव द्विपः / अत्युत्तमोऽयं विख्यातः साम्प्रतं हस्तिबन्धिषु // 18 // अन्वयः-(हे स्वामिन् ! ) विध्याद्रिराजस्य युवराज इव अतिउत्तमः अयं द्विपः सांपतं हस्तिबंधिषु विख्यातः // 18 // GOOTAGIG0000000000cPage Navigation
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