Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ पुण्यादय चरित्र // 12 // सान्वय भाषांतर // 12 // भमराओना नादरूपी गायन साथे, पोतानी क्रीडारूपी नटीनीपेठे लक्ष्मीने ( शोभाने) अग्रभागमा नचावतोयको, // 25 // तथा वनदेवताओवडे पण आश्चर्यथी जोवातो एवो आ हस्तिराज पोतानीमेळे धीमे धीमें बनाथी मारा आवासे आव्यो. // 26 // आश्चयोन्मत्तचित्तेन मयोत्थाय रयादथ / असावप्रजि प्रत्यक्ष स्वभाग्यस्येव दैवतम् // 27 // अन्वय:-अथ आश्चर्यउन्मत्तचित्तेन मया रयात् उत्थाय स्वभाग्यस्य प्रत्यक्षं दैवतं इव असौ अपूजि. // 27 // अर्थ-पछी आश्चर्यथी अत्यंत उत्सुक मनवाळा एवा में एकदम उठीने मारा भाग्यना प्रत्यक्ष थयेला देवनी पेठे आहाथीने पूज्यो.१.२७ नमतो मम तोषेण सुप्रसन्नः करी करम् / सुस्वामीव दधावेष पृष्ठे कमलकोमलम् // 28 // अन्वयः-तोषेण सुप्रसन्नः एषः करी नमतो मम पृष्ठे सुस्वामी इव कमलकोमलं कर दधौ. // 28 // अर्थः-आनंदथी अति प्रसन्न थयेला आ हाथीए नमतो एवी जे हुँ, तेनी पीठपर उत्तम शेठ (सेवकनी पीठपर जेम पोतानो हाथ मूके) तेम ( पोतानी ) कमलसरखी कोमल सुंद स्थापन करी. // 28 //

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