Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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________________ 00000000000000000000 তু चरित्र / // 10 // सान्वय भाषांतर // 10 // एकड़ी) शकायो नही. // 20 // . . र सम्यग्मत्वैनमग्राह्यं गन्धेभं गन्धवाहवत् / अवल्यंत विलक्षण लक्षण करिबन्धिनाम् // 21 // * अन्वयः-एनं गंधेभं गंधवाहवत् सम्यग् अग्राह्यं मत्वा करिबंधिनां लक्षण विलक्षण अवल्यत. // 21 // .... अर्थः-आ हाथीने वायुनी पेठे सेहेलथी न पकडी शकाय एवो जाणीने लाखोगमे मावतो निराश थइ पाछा वल्या. // 21 // अथाहमधिकोत्साहः सुखप्नशकुनबजैः। अस्य बंधाय विन्ध्यादि गत्वा वासमदापयम् // 22 // . अन्वयः-अथ सुस्वप्नशकुनवजैः अधिकोत्साहः अहं अस्य बंधाय विध्याद्रिं गत्वा वासं अदापर्य. // 22 // अर्थः-पछी उत्तम स्वप्नो तथा शकुनोना समूहोथी अधिक उत्साहवाळाएवा में आहाथीने पकडवामाटे विंध्याचलमांजइ निवासकों. कथं ग्राह्यः सहस्तीति चिन्ताचकितचेतसः। मम प्रमोदरोमाञ्चप्रचयं रचयन्नथ॥२३॥ CN) मक्तिस्पृहमसम्यक्त्वमिव मामेतदर्थिनम् / सतां प्रहसतां चित्ते चमत्कारं प्रपञ्चयन् // 24 // 00000000 00000000000000000000

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