Book Title: Punyadhya Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 6
________________ 09020000000000000000 पुण्याढ्य चरित्र सान्वय भावांतर 0200000 अर्थ:-मस्तक कंपाववाना मिषथी जाणे ते हाथीना डावा अने जमणा अंगने वारंवार जोतो होय नहीं / तेम ते राजा एम विचारवा लाग्यो के, // 8 // द्रष्टुमैरावणमसी तद्गुणग्रहधीरिव / उच्चैस्त्वात्तु नभोगर्भगतोऽब्द इव गर्जति // 9 // इन्द्रेभस्पर्धया शङ्के यशोभिर्विशदीभवन् / इन्द्रतायोग्यभाग्यानामेवायं याति यानताम् // 10 // इति ध्यायन्धराजानिः सम्मान्य व्यवहारिणम् / विधातुं दन्तिनो मूल्यं तद्विदः स समादिशत् // 11 // * अन्वयः--असौ उच्चस्त्वात् तद्गुणग्रहधीः इव औरावणं दृष्टुं, तु नभोगर्भगतः अब्दः इव गर्जति, // 9 // अयं इंद्रेभस्पर्धया यशोभिः विशदीभवन इंद्रतायोग्यभाग्याना एव यानतां याति शंके, // 10 // इति ध्यायन् स धराजानिः व्यवहारिणं संमान्य तद्विदी दंतिनो मूल्यं विधातुं समादिशत् // 11 // त्रिभिर्विशेषकं / / codibieos Doccccceederaceaecseed PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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