Book Title: Pratikraman Vidhi Sangraha
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Mandavala Jain Sangh

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Page 93
________________ प्रतिक्रमण विधि संग्रह - उपर्युक्त प्रतिक्रमण विधि और संग्रहगाथाएँ पौर्णमिक तिलकाचार्य की सामाचारी में से ली हैं। श्री तिलकाचार्य पौर्णमिक गच्छ के प्रादुर्भावक श्री चन्द्रप्रभ सूरि के शिष्य धर्मघोष आचार्य के शिष्य श्री चक्रेश्वर सूरि के पट्टधर थे। चक्रेश्वर सूरि के शिष्य शिवप्रभ सूरि हुए, उन शिवप्रभ सूरि के शिष्य थी तिलकाचार्य हुए जिन्होंने जीतकल्प की विवृत्ति संवत् . १२७३ के वर्ष में बनाई थी।

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