Book Title: Prashnavyakarana Sutra Author(s): Rangvimal Gani, Mafatlal Zaverchand Publisher: Mukti Vimal Jain Granthmala View full book textPage 7
________________ परमपूज्य-शांतमूर्ति श्रीमद् पंन्यास दयाविमलगणिवरपादप भ्यो नमः । श्रीगोडीपार्श्वनाथाय नमः । श्रीप्रवचनेभ्यो नमः ।। तपागच्छाधिपति सूरिपुरन्दरश्रीमद् ज्ञानविमलसूरिविरचितवृत्त्युपेतम् ॥प्रश्नव्याकरणम् ॥ ॐ नमः सिद्धम् ऐन्द्रवृन्दनतक्रमोऽमितगुण-प्राज्यद्धिसिद्धिप्रदः । श्रीपार्श्वः परमेश्वरो विजयते, विश्वत्रयीनायकः। यत्तौल्यं न विभर्ति कल्पफलदो, यच्छन्नपीष्टं जने । यन्नामाऽपिपिपर्सि सौख्यमतुलं, चात्यन्तिक'चाऽक्षयम् ॥१॥ श्री वामेयजिनो ददात्वभिमतं, संसारसंज्ञे मरौ । यन्मूर्तिः सुरभूरूहां सदृशतामालम्बते साम्प्रतम् । यन्मौलौ फणिनः फणा दलततिर्जाता तदग्रस्थितो। रत्नौधः कुसुमायते स भगवान भूयात्सदा श्रेयसे ॥२॥ १चाऽव्ययम् ॐॐॐॐॐॐॐॐ3%Page Navigation
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