Book Title: Prakrit Bhasha Ka Prachin Swarup Author(s): Sagarmal Jain Publisher: Prachya Vidyapith View full book textPage 6
________________ क्र. विवरण 1. अर्धमागधी प्राकृत भाषा का उद्भव एवं विकास 2. प्राकृत आगम साहित्य के भाषिक स्वरूप में हुआ परिवर्तन 3. अर्धमागधी आगम साहित्य : कुछ सत्य और तथ्य 4. जैन आगमों की मूल भाषा : अर्धमागधी या शौरसेनी ? 5. प्राकृत विद्या में प्रो. टॉटियाजी के नाम से प्रकाशित उनके व्याख्यान के विचारबिन्दुओं की समीक्षा विषयानुक्रमणिका 6. शौरसेनी प्राकृत के संबंध में प्रो. भोलाशंकर व्यास की स्थापनाओं की समीक्षा अशोक के अभिलेखों की भाषा : मागधी या शौरसेनी क्या ब्राह्मी लिपि में 'न' और 'ण' के लिए एक ही आकृति थी ? 7. 8. 9. ओङ्मागधी प्राकृतः एक नया शगूफा पृष्ठ क्र. 1 11 31 41 71 84 94 104 115Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 132