Book Title: Pandav Charitra Balavbodh
Author(s): 
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 5
________________ कोइलि करई टहूकडा जांणे वसंत अवतरिउ तिहां रिसहेसर - जिण - भूअण डंड - कलस सोवंण्णमइ आदेसर जोहारि करि दीठु एक अवास बलि घोड़उ बंधिउ बारणइ भुई छुट्टी गिउ सातमी भमर करई झणकार । कि मलय-गिरि अवतार ॥ अइ मणहर उत्तंग | बिंव रयणमइ जंग ॥ सुंदर सइतु थाइ । तिणि राजेसर जाइ ॥ Jain Education International नरवर माहि पयट्ठ । कुमरी - विंदति दि ॥ ( गंगा - वृत्तांत ) भमर - पलंगह ऊतरी जांणे किरि जगि त्रीय- रयण विनु विवेकिहि साचवइ ओलखाण - विणु तस चरिय पूछीअ कहि सुंदरि किसिउं ओलखांण नवि आज धु ( ? ) । ऊठी एक सखी कहइ वेयव-गिरि सुरयण- पुरि जोवण - भरि पुहुती जिम‍ बुल्लावी बहु- नेह भरि कहि-न वत्सि तू कुण गमइ परणावीअ बहु रिद्धि दिउँ कर जोडी कंन्या कहइ कहिउं करइ न जि माह पूछिया राइहिं राय- सुअ कोइ न परणइ ए कुमरि निवडुं जांणी एह वण कारीअ आदेसर - भूअण हव ए कुमरि ईहां रहइ कुमरि एक कर जोडि । नयणि न दिसई जोडि || रा रुलीयाइति थाइ । वात हिअइ न समाइ ॥ एवड विणउ करंति । हुं परि न परीछंति ॥ सांमी सांभलि वात । जंह - राउ इह - तात ॥ बइठी पीअ - उच्छंगि राइहिं मन - नइ रंगि ॥ मण-वंछिअ भरतार | हय गय घण परिवार ॥ वर नत्थी अम (? म्ह) ह रेसि | ते वर मई मन देसि ॥ कही कुमारि - नी वत्त । राणु राउत || ईहां रचिया आवास । आदेसरह आस ।। कर निरंतर पुण्य । [72] For Private & Personal Use Only २० २५ ३० www.jainelibrary.org

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