Book Title: Pandav Charitra Balavbodh
Author(s):
Publisher: ZZ_Anusandhan
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आवइ बांण अपर कुण मात्र खडहडि पडिउ छत्रधर छात्र । बीजइ बांणि विद्या थंभणी मेल्हिडं सक्ल्ह-सेन-भड-भणी ॥ नवि लागइ नवि को मारंति भड थंभ्या टगमग जोअंति । क्षिप्र बांण मेल्हिउं वलि कुंअरि गई वीणि सब-कहि हुई कुपरि ८० रिणि रोसग्गल थिउ गांगेउ ते जाणिउ गंगा सहु भेउ । वेगि वेगि पुहुती तिणि ठाइ आवंती दीठी कुरि राइ ॥ तिणि आवती जुहारिउ राउ सांमी तम्ह हम नवि जसवाउ । ए तम्ह पुत्र कुमर गांगेउ गंगादेविहि भागु भेउ | वली कुमर-तडि गंगा गई ए ताहरु पिता सुणि भई । इम संभलि आणंदिहि चडिउ लोटींगणे ताउ पय पडिउ ।।
आणंदिउ राजा स्यांतन्न दिट्ठ गंग गंगा-नुं वचंन्न । गांगेउ आघु लहीअइ सिघ्र बलिइ सुअ साइं दीअइ ॥ आपणपुं धन वन मंनिइ माहरइ सुकुमर गांगेउ ।। गांगेवि दिठइ सवि
........................|| आंम तात तु मोटु राउ ताहरु त्रिहु भूअणे भडिवाउ ।। आज पछु ए परि मन करेसि खड खाता मृगला मन हणेसि ।। सेन-सहित सहु गयउं अवासि भोजन-भगति हुई तस-पासि । गंगा-नइ कुमरि गांगेइ अमीय-वयणि रा पडिबोहिइ ।। बार-वरस-नी एतइ सीम आखेटक लिवराविउ नीम । राइ उत्संगिहि ले गांगेउ मंनाविउ अति परिई करेउ ॥ मांनइ नहीं स गंगा-देवि पुत्त मोकलिउ माइहि खेवि । हथणाउरि स पुहुतु राउ गांगेउ-नु जगि जसवाउ ।
वली बोली राइ स्यांतनि गांगेउ-नां गरूआं चरित्र जांणी करी गांगेउ-प्रतिइं युवराजपदवी दीधी । गांगेउ-कुमर राज-नी च्यंता सघलीअ-इ करइ । साधु पालइ, दुष्ट निग्रहइ । पणि रात्रि-दिवस बाप-नी भगति करइ । आगे-ई जिम श्री रामचंदि नइ लक्ष्मणि कीधी ।
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