Book Title: Pandav Charitra Balavbodh
Author(s): 
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 19
________________ A -कृत मेरुरल - उपाध्याय-शिष्य - पांडवचरित्र - बालावबोध ('अनसंधान'-४, पृ. ८५ थी चालु ) (अंबा-अंबिका - अंबालिका हरण ) विचित्रवीर्य विवाहह रेसि जे देखु कंन्या गुणवंति बलि छलि ते कंन्या आणेसुविचित्रवीर्य हुं परणावेसु ॥ (बोली) चर मोकलिया चिहु दिसि देसि ॥ विनयवंति जे वलि रूपवंति । Jain Education International १२६ इस प्रस्तावि एकि चर कासी-नगर-थिका आविया छ । तेहे गांगेउ तणा पद कमल प्रणमी - नइ वार्ता कहई छई । सांमी, सांभलि कंन्या त्रिहुं- नी वार्ता । आव आव (?) अपसरा भांजी नइ अकेकी घडी छइ । कासीपुरी नगरी कासी - नरेश्वर राजा राज्य करइ । तेह- नइ कासीश्वरी पटरांणी । तेह- नइ त्रिणि कुमरि । त्रिष्ण-इ योवन संप्राप्त हूई छई । तिणि कासी - नरेश्वरि विश्व माहिला गमा अनेक राज कुमर जोआव्या । पणि तीह-नी जांमलिई वर कुण्हइ न मिलई । ति वार अम्हे इसिउं विमासिउं । ईहं त्रिहुं कंन्यानी जांमलिइ एक वर राजा विचित्रवीर्य छइ पणि बीजु वर नथी । ति वारं गांगेइ कहिउं । ते कंन्यानां नांम सियां ? चर कहई छई, सांभलु । वडी नांम अंबा, तेह लुहुडी-नुं नाम अंबिका, त्रीजी-नुं नांम अंबालिका । पणि देवां ही दुर्लभ । वली गांगेउ कहइ छइ । एक वार मगावीअई जइ मागी दि तु लिई । नहीतरि बलात्कारि लेई आविसु । चर वली कहई छई । सांमी, मागिवुं तागिवुं रहिउ । अत कांई सयंवरा-मंडप मंडाणुं छइ । महा-मनोहर सुवर्णमय रत्नमय पीठ । पित्तलामय रुष्यमय भीति । थांभा कुंभी सिरां पाट पीढ सुवर्णमइ ऊपरि रत्न - कंबल वस्त्र तेहना उल्लोच । चंद्रोआनां मंडाण । ति-वार- पूठिइं मणिमुक्ताफल- तणां झुंबिका। अनेकि किंकिणि-तणा झणत्कार। कोरणी - तणी वितिपिति । चित्रांमणतणी विचित्राई । जल-यंत्र मंडाणा छ । अनेकि मंचोन्मंच बंधाणा छ । राय राणा मंडलीक प्रति कुंकुम पत्रिका मोकली छई। राज कुमर-नी कोटि मिली छ । पणि जि काई आपणपा हूइ निरंतुं नथी । ते सत्य नुं कारण भणी | काई राजा विचित्रवीर्य बेडीवाहा- नी बेटी- नु बेटु । एत न मांन विचारीअइ छइ । सत्यवती - तु मूल संबंध न जांणइ । - For Private & Personal Use Only १२७ www.jainelibrary.org

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