Book Title: Pandav Charitra Balavbodh
Author(s):
Publisher: ZZ_Anusandhan
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तेह - नई दीजइ ।
ति वारं मोटु एक पट्ट कराविउ । पणि महा विशिष्ट वली कलावंत चित्रकर एक तेडाविउ । कौंती-ना रूप-नी चित्रामि चीतरिवा-नी वात जणावी । ति वारं चित्रकि कहिउं महाराज, कौंती - ना रूप-नु लवकेश एक सिउं कुणहि चीत्राइ छइ, जइ वृहस्पति आवइ तुहइ ? पणि तुहइ तम्हारडं आदेशि करी जिसिउं जाणिसु तिसिउ पट्ट नीपाइसु ।'
'तु नीपाई' ।
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(चउपई )
आंण्या हींगलोअ हरीआल रस कीजइतिहां एकि रूपमइ कौंती भणइ रूपि अहिमांणि लिखिरं रूप सरसइ-आधारि कोरक - नामि पाठविउ दूत अंतर- गति आपिया अविभेउ पूरव पंथ फिरिउ नेपाल मरहठ सोरठ सहि नंमीआड कौंती जोगि नही कइ भूप कुणहि एक नैमित्ति विसेसि गयपुरि पाटणि गयु सुजांण गांउ सहि पिक्खीअ पांडु दीठउ विदुर अनुइ धृतराष्ट्र जिसिउ पांडु गुणि रूपिहि होइ नव- जोवण नव-नेह - गुणेणि वात जणाविउ तिणि गांगेउ गांगेउ तिणि बइटुं मंत्र मई ए दीढुं रूप मझ गमइ कुमर न बोलिउ कंन्या गमी कोरक पांडि करी अवलि वात कोरक - साथि जे जण जांण
पंच-वर्ण वानां सुविसाल वली नींपना एकि कनकमइ सकल शरीर देह - परमाणि जिसी अवर नारि न संसारि विद्या कला जि गुण-संजुत्त चालिउ कोरक ते पट लेउ अंग बंग नइ तिलंग डाहाल गूजर मरु मालव मेवाड सूरवीरपण गुणि अनुरूप कोरक वही गयउ कुरुदेसि राजपाटि कां रांणोरांणि
अनुपम रूप अनइ बलवंड अपर राय - सुअ सई साताठ तिसिउ अवर नवि दीसइ कोइ कोरक - नुं मन बइठु तेणि पट्ट दाखि भाखिया सवि भेउ पांडु - कुमर - रहई कहि उवतंत्र जइ ताहरु चित्त इणि रमइ ऊठिउ गांगेउ-पय नमी मेलि विवाह म करिजे चात्र कंन्या जोई करे प्रमाण
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