Book Title: Panchastikay Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 12
________________ धर्म, अधर्म और आकाशास्तिकायः धर्म द्रव्य गमन क्रिया से युक्त जीव और पुद्गलों के लिए कारण है, किन्तु स्वयं किसी कारण का परिणाम नहीं है। लोक में जैसे मछलियों के लिए जल गमन में उपकारी है, वैसे ही जीव और पुद्गलों के लिए धर्म द्रव्य है। अधर्म द्रव्य ठहरने की क्रिया से युक्त जीव और पुद्गलों के लिए पृथ्वी के समान कारण है। यहाँ ध्यान देने योग्य है कि जीव और पुद्गल स्वपरिणमन से ही गमन और ठहरना करते हैं। लोक में जो सब द्रव्यों को स्थान देता है वह लोकाकाश है किन्तु लोक से अन्य आकाश अलोकाकाश अन्त-रहित है। पंचास्तिकाय (खण्ड-1) द्रव्य-अधिकार

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