Book Title: Pallival Jain Jati ka Itihas
Author(s): Anilkumar Jain
Publisher: Pallival Itihas Prakashan Samiti

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Page 151
________________ विशिष्ट व्यक्तियों का संक्षिप्त परिचय 121 __अापके चार पुत्र थे। बडे पुत्र डा. रतनलाल जी 'सेठ' कानपुर में अपनी 'पैथोलोजीकल लैब' चलाते थे। सेठ जी भी बहुत धार्मिक व्यक्ति थे तथा इनको अपनी समाज से विशेष मोह था। आप हमेशा कानपुर से मन्दिरो की कार्यकारिणी मे सक्रिय रहे । कानपुर में पल्लीवालो के घर एक दो ही रहे हैं । वे भी नौकरी के कारण ही वहाँ पहुँचे है। लेकिन सेठ जी अवेले ही हर महावीर जयन्ती पर तथा क्षमावाणी पर्व पर बडे मन्दिर के सामने एक प्याऊ लगवाते थे तथा उसके ऊपर एक बडा बैनर 'पल्लीवाल प्याऊ' के नाम का ढंगवाते थे। यह उनकी पल्लीवाल समाज के प्रति अटूट श्रद्धा का नमूना है । वे कानपुर मे अकेले पल्लीवाल पोने पर भी अन्य जैन समाज के सामने अपनी समाज का अस्तित्व सिद्ध करते रहे । सेठ जी का देहान्त भी अपन पिता की मृत्यु के कुछ समय बाद ही हो गया तथा तब से कानपुर मे पल्लीवाल जाति का नाम ऊँचा करने वाला कोई भी नहीं रहा । 15 17) श्री मिठुनलाल जी कोठारी श्री मिठ्ठनलाल जी का जन्म दिनाक 26 सितम्बर सन् 1890 को ग्राम पहरसर (जिला भरतपुर) में हुआ था । आपके पिता का नाम श्री मूलचन्द था। 9 वर्ष की आयु मे आप लाला चिरजीलाल जी के दत्तक पुत्र के रूप मे आये । लाला चिरजीलाल भरतपुर राज्य मे काय करते थे । उनके स्वर्गवास के बाद श्री मिट्ठनलाल जी को उनके स्थान पर रख दिया गया। आपके विश्वसनीय कार्या के कारण आपका राज्य के दफ्तर कोठार मे कोठारी पद पर पदोन्नत कर दिया गया। आप सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्र मे सक्रिय रहे । भरतपुर के 'पल्लीवाल श्वेताम्बर जैन मन्दिर' की स्थिति सुधारने मे आपका विशेष योगदान रहा। आपके प्रयासो से ही 'पल्लीवाल जैन कान्फ्रेस' की स्थापना हुई। आपने कई तीर्थ यात्राएँ भी की।

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