Book Title: Padmavati Purval Jain Directory
Author(s): Jugmandirdas Jain
Publisher: Ashokkumar Jain

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Page 272
________________ श्री पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्टरी . स्व० श्री मुन्शी हरदेवप्रसादजी जैन, जलेसर जलेसर के विख्यात हुण्डीवालों के प्रभावशाली परिवार में श्री हुलासीरायजी जैन के यहाँ "जाति भूषण" श्री मुन्शी हरदेवप्रसादजी ने जन्म लिया। आपके पिता श्री हुलासीरायजी जैन लेन-देन और हुण्डी आदि का कार्य बड़े स्तर पर करते थे। आपको बाल्यावस्था से ह तीव्र ज्ञान-पिपासा थी। आपके पिताजी आपको बलवान(पहलवान)देखाना चाहते थे, इसलिए वह आपको ढ़ाई सेर दूध नित्य पिलाते थे। आपका झुकाव शिक्षा-संग्रह की ओर वरावर रहा । फलस्वरूप एक मौलवी से शिक्षा प्राप्त की और एक सुप्रसिद्ध कायस्थ वकील से कानूनीज्ञान प्राप्त कर मुन्शी बने । आपका गृहस्थ जीवन सुखी था । आपके एक सुपुत्र श्री बनारसीदासजी जैन एवं दो कन्याएं श्रीमती ज्ञानमाला एवं श्रीमती रतनमाला थी।- आपके नाती रायसाहेब श्री वा० नेमीचन्द्रजी जैन भू० पू० अध्यक्ष नगरपालिका जलेसर वर्तमान में समाज नायक है। श्री मुन्शी हरदेवप्रसादजो बड़े ही अध्यवसायी, परिश्रमशील, परोपकारी एवं धर्मनिष्ठ महापुरुष थे। जमीदारी के कार्य में आपने अहिंसा, परोपकार, दया एवं ईमानदारी को व्यवहारिकता का जामा पहनाया था । अपने जीवन काल में आपने प्रायः सभी जैन तीर्थों की वन्दना की थी। मरसलगंज के १६चे अधिवेशन में आपको "जाति-भूषण" की उपाधि से विभूपित किया गया था। आप उर्दू और फारसी के विद्वान् थे, पर "श्री भक्तामर" का अध्ययन करने के लिए आपने सत्तर वर्ष की आयु में संस्कृत का अध्ययन प्रारम्भ किया। आपका स्वर्गवास २५ अक्तूबर सन् १९३३ को हुआ।

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