Book Title: Padmavati Purval Jain Directory
Author(s): Jugmandirdas Jain
Publisher: Ashokkumar Jain

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Page 289
________________ श्री पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्टरो श्री रामस्वरूपजी जैन, एत्मादपुर आपका जन्म सम्वत् १९७२ में हिम्मतपुर में हुआ। आपके पिता जी का नाम श्री हुण्डीलालजी जैन है । जब आप लगभग ८ वर्ष के थे उस समय आपके पिताजी का स्वर्गवास हो गया था | आपका शिक्षा क्रम यथावत् आरम्भ रहा। आपको प्रारम्भिक शिक्षा हिम्मतपुर हुई और इसके पश्चात् व्यावर आदि स्थानों से विशारद तक शिक्षा का संग्रह किया । अध्ययन समाप्त कर आपने गाँव में ही व्यापारिक कार्य किया। कुछ समय पश्चात् आप गुड़ और चावल के थोक व्यापारियों में गिने जाने लगे। बाद में पीतल के बरतन व हार्डवेयर का कार्य आरम्भ किया और यह कार्य अभी भी अच्छे पैमाने पर चल रहा है। ६१५ आरम्भ काल से ही आप सामाजिक व राजनैतिक कार्यों में रुचि लेते आ रहे हैं। एत्मादपुर में जैन युवक परिषद का संगठन कर सामाजिक व धार्मिक कार्यों में योग देते रहें और इसके सभापति पद को संभाले इसका सफल संचालन करते रहे। आप सदैव राष्ट्रीय विचारधारा को अपनाते रहे हैं । स्वतन्त्रता के पश्चात् कांग्रेस से आपका सैद्धान्तिक मतभेद होगया और आपने जनसंघ की सदस्यता ग्रहण करली। इसके साथ ही आप जनता विद्यालय एत्मादपुर के कोषाध्यक्ष तथा नगर-कल्याण समिति के कोपाध्यक्ष और पशुवध निषेघ समितिके प्रधान हैं । स्थानीय श्मशान घाट पर बरसात से रक्षा के लिए सार्वजनिक हितार्थ अपने अर्थ से एक बिल्डिंग बनवाई है। अपनी जन्म भूमि में एक कन्या पाठशाला के निर्माण का संकल्प भी है। पूजन से शान्ति प्राप्त करने के लिये आपने दो हजार को लागत से विशाल पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा एत्मादपुर के पंचायती मन्दिर में स्थापित करवाई है । इधर तीन साल से जब से आपको एक मात्र पुत्र का शोक सहन करना पडा है, तब से आप धर्म की ओर और भी अधिक लगन से बढ़े है। आपकी धर्मपत्नी का पुत्र शोक में स्वर्गवास हो गया। अतः आप समाज के विरक्त पुरुषों में से एक हैं। आपका विचार उ एवं धार्मिकता से परिपूर्ण है। सभी के प्रति आपके हृदय में प्रेम भाव बना रहता है । सत्य शब्द और शुद्ध वाणी आपका आभूषण है । आप त्याग वृत्ति के उत्तम रत्न हैं ।

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