Book Title: Padmavati Purval Jain Directory
Author(s): Jugmandirdas Jain
Publisher: Ashokkumar Jain

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Page 292
________________ ६३४ षो पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्टरी श्रीमती कुन्तीदेवी जैन, नगलास्वरूप आपका जन्म सन् १९०४ का है । आप स्वर्गीय श्री गुलजारीलाल जी जैन की सुपुत्री तथा स्वर्गीय श्री श्रीलालजी जैन नगलास्वरूप की धर्मपत्नी हैं। आपका जन्म स्थान मझराऊ जिला एटा है। आपकी गणना समाज की शिक्षित महिलाओं में की जाती है। आप प्रभाकर जैसी हिन्दी की उच्च शिक्षा प्राप्त है। हाई स्कूल.भी आपने पास किया है। आपका धर्मज्ञान भी बहुत हैं। धार्मिक परीक्षाओं में भी आप सदैव सम्मान का स्थान प्राप्त करती रही है। आपका जीवन सदैव स्वावलम्बी रहा है। श्री.दि० जैन कन्या, पावशाला में श्राप गत वर्ष तक प्रधानाध्यापिका के पद पर सेवां करती थी। आपकी शिक्षा देने को शैली अपने आपमें निराली थी। आप द्वारा अनेकों कन्याओं ने किताबी शिक्षा के साथ-साथ गृहस्थ जीवन की भी आदर्श शिक्षा ग्रहण की है। आप शुद्ध जीवन की धर्मनिष्ट. तथा सात्विक महिला है। ___ आप स्वधर्म के प्रति पूर्ण आस्थावान रहती हुई सभी धर्माज्ञाओं का विधिवत पालन करती रही हैं। अभी आपका छठी प्रतिमा का व्रत चल रहा है। -आप त्यागपूर्ण जीवन की महिला रत्न है। कुमारी तारादेवी जैन, एम० ए० मेरठ कुमारी तारादेवी का स्थान समाज की शिक्षित महिलाओं में है। आप मेरठ निवासी भिषगाचार्य श्री पं धर्मेन्द्रनाथ जी वैद्य शास्त्री की सुपुत्री हैं। आपने छोटी आयु में ही एम० ए० तक शिक्षा प्राप्त कर समाज की बालिकाओं के सम्मुख एक अनुकरणीय उदाहरण रखा है। बनारस से संस्कृत प्रथमा, हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट आदि परीक्षायें द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की। आपकी प्रखर बुद्धि जिस विषय का एक बार अध्ययन कर गई, मानो वह विषय आपको सदैव के लिए कण्ठस्थ हो गया। मिडिल कक्षा में आप विद्यालय भर मे 'सर्व प्रथम रही थी। इसके पश्चात् तो आपने एक वर्ष में दो-दो कक्षायें तय की' और इसी क्रम से आप एम० ए० तक प्रगति करती रही। आपने एम० ए० संस्कृत विषय से की है। संस्कृत का आपको अच्छा ज्ञान है। आपने संस्कृत के उत्तमोत्तम ग्रन्थों का अध्ययन किया है, जिसका प्रमाण आपका ज्ञान-भण्डार एवं संस्कृत साहित्य पर विवेचन करने की आपकी प्रभावशाली शैली है। ___आप पद्मावती-पुरवाल समाज की व्युत्पत्ति एवं इसके प्रामाणिक इतिहास की जानकारी के प्रति भारी इच्छुक है। जैनधर्म को आप सदैव श्रद्धा की दृष्टि से देखती रही है। आपमें अभिमान नाम मात्र को भी नहीं है। "विद्याददाति विनयम्" की आप प्रतिमूर्ति है। आपका जीवन मर्यादा पूर्ण और भारतीय संस्कृति का अनुयायी है। समाज को आप जैसी सुशिक्षित और विनम्र ललनाओं पर गौरव है। साथ ही आशा है कि आप मागे. आकर अपनी इस उच्च शिक्षा द्वारा समाज की महती सेवा कर पायेगी। '

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