Book Title: Padmavati Purval Jain Directory
Author(s): Jugmandirdas Jain
Publisher: Ashokkumar Jain

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Page 275
________________ श्री पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्टरी ૬૨ आप प्रौढ़ शिक्षा के प्रवल हिमायती ही नहीं है, बल्कि इस दिशा मे आप रचनात्मक कार्यकर्ता के रूप में पहचाने जाते है। आप कुछ समय से नियमित रूप से रात्रि को एक घण्टा प्रौढ़ पाठशाला चलाते हैं । आपके द्वारा धर्म प्रचार तथा धर्म-शिक्षण का कार्य भी बराबर चलाया जा रहा है। श्री ब्रह्मचारी सुरेन्द्रनाथ जी द्वारा संस्थापित मुमुक्षु समिति के सदस्यों को धर्म-शिक्षा का कार्य एवं श्री दि० जैन महावीर विद्यालय की सम्पूर्ण व्यवस्था आपकी देख-रेख में है। श्री दि० जैन म० वि० टूण्डला के मैनेजर एवं पा० स० कमेटी के कोपाध्यक्ष पद को सम्भाले आप समाज की सच्ची सेवा में लगे हुए है । अनाथ, विधवा तथा लाचार व्यक्तियों को आप सदैव सहारा देते रहे है। श्री दि० जैन पद्मावती पुरवाल समाज के आप महान शुभचिन्तक एवं समाजकी उन्नति के लिये दत्तचित्त कर्मशील महानुभाव हैं। आपमें मानव मात्र की सेवा-भावना निवास करती है । विनम्रता और सरलता आपके अपने जन्म जात गुण हैं। इन्हीं अमूल्य गुणों के आधार पर समाज आपको आदर की दृष्टि से देखता है। आपके द्वारा कितने ही ऐसे विवाद आसानी से सुलझाए जा चुके हैं, जिनका हल अदालतें भी नही निकाल पाई थीं । आपके निर्णयों की प्रशंसा उदाहरण के रूप में समय-समय पर स्मरण की जाती रहती हैं। आपके अनुरूप ही आपकी गुणवती धर्मपत्नी श्री विमलादेवी हैं। आप भी धर्मानुरूप जीवन की तथा अपने धर्म के प्रति पूर्ण निष्ठावान उत्तम कुल एवं शुद्ध विचार धारा की आदर्श महिला हैं । आपको चार सुयोग्य सन्तानें शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। कैण्टिन श्री माणिकचन्द्र जी जैन, फिरोजाबाद श्री कैप्टिन साहेब समाज के वीर पुरुषों में से एक हैं । ६० वर्ष की आयु के पश्चात् भी आप में युवकों जैसा साहस तथा उत्साह विद्यमान है। जिला आगरान्तर्गत " कोटला ग्राम" आपकी जन्म भूमि है । यही आप अपने पिता स्वर्गीय श्री बंगालीलाल जी जैन की मोदभरी गोद में पले । आपके इस वंश में श्री सुखनन्दनलाल जी, श्री बाबूराम जी रईस आदि विभूतियाँ हुई जो समाज-सेवा तथा जाति- हितैपी कार्यो मे अपना मौलिक स्थान रखती हैं। कैप्टिन साहेब वाल्यकाल से ही तीक्ष्ण बुद्धि रहे हैं। थोड़े ही समय में आपने आगरा विश्व विद्यालय से बी०ए० की शिक्षा समाप्त कर ली थी। विद्यार्थी जीवन मे आप खेल-कूद के भी शौकीन रहे हैं। प्रायः सभी खेलो मे आप उमंग के साथ भाग लिया करते थे । आपकी जोश भरी युवावस्था ने सैनिक जीवन अपनाया - फलस्वरूप आप अपनी योग्यता, चातुर्य एवं पराक्रम के कारण कैप्टिन जैसे उच्च पद पर आसीन हुए। जैनी जब जुल्म के

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