Book Title: Padmavati Purval Jain Directory
Author(s): Jugmandirdas Jain
Publisher: Ashokkumar Jain

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Page 279
________________ #૬૭ श्री पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्टरी राय साहेब श्री बा० नेमीचन्दजी जैन, जलेसर श्री बा० नेमीचन्द्रजी जैन पद्मावती पुरवाल समाज के सुदृढ स्तम्भ, पथ-प्रदर्शक, समाज-सुधारक एवं धर्म-धुरन्धर कर्णधार हैं। आप स्वर्गीय श्री वनारसीदास जी जैन की एक मात्र सुयोग्य सन्तान हैं। आपका जन्म सितम्बर १९०६ में जलेसर मे हुआ | आपके जन्म के साथ ही परिवार में सम्पत्ति एवं ऐश्वर्य की अजस्त्र धारा प्रवाहित होने लगी। पिता की असामयिक मृत्यु एवं बाबा के प्यार ने आपको शिक्षा क्षेत्र में इन्टरमीडिएट तक ही सीमित रखा । आप अपनी सर्व प्रियता के कारण युवावस्था में ही नगरपालिका के सदस्य वन गये थे । सार्वजनिक पुस्तकालय, सुभाष पार्क, गान्धी शिक्षा सदन, जलेसर कुटीर उद्योग प्रदर्शनी आदि कुछ ऐसे कीर्ति स्तम्भ हैं जिन्हें समय की आंधी कभी पराजित न कर सकेगी । सन् १९४३ में आपको राय साहेव की मान्य उपाधि से विभूपित किया गया था । सम्प्रदायिक ढंगों के अवसर पर आपके द्वारा किये गये शान्ति प्रयासों के फलस्वरूप तत्कालीन शासन द्वारा आपको मजिस्ट्रेट की सम्मानित शक्ति प्रदान की गई और आपने नगर एवं निकटवर्ती क्षेत्रों मैं अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व से शान्ति स्थापित की । आपकी अभिरुचि पत्रकारिता एवं हिन्दी साहित्य में विशेष है । इसीलिये जैनविचार धारा से अनुप्राणित सप्ताहिक 'वीरभारत' का स्थापन, संचालन, सम्पादन तथा प्रबन्ध किये हुये हैं । धार्मिक संस्कार आपको उत्तराधिकार में मिले है । यही कारण है कि आपके जीवन का अधिकांश भाग धर्म-ध्यान में व्यतीत हुआ है । आज तक आपने किसी होटल में भोजन नहीं किया है और शुद्ध, सात्विक एवं मर्यादित खान-पान पर विशेष बल देते हैं। धार्मिक क्रिया-काण्ड के सुचारूरुपसे सम्पादन हेतु आपने अपने विशाल भवन के एक कक्ष में श्री शान्तिनाथ जिनालय की स्थापना कराई है। आचार्य श्री शान्तिसागरजी महाराज, आचार्य श्री महावीरकीर्तिजी महाराज तथा आचार्य श्री विमलसागरजी महाराज के चरणों में आप महीनों रहे हैं। 1 परोपकार आपको प्राणों के समान प्रिय है इसका साक्षी है-महात्मागांधी मेमोरियल इन्टर कालेज, जलेसर । आपने अनेकों इच्छुक छात्रों को शिक्षा दिलाने में सहायता की है । सन् १९५० में श्री पद्मावती दिगम्बर जैन धर्मार्थ ट्रस्ट ( रजिस्टर्ड ) की स्थापना अपने द्रव्य से की है। ट्रस्ट के कार्य संचालन में आप स्वयं समय भी देते हैं। गरीबों में औषधि ,

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