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श्री पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्टरी
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श्री पन्नालालजी जैन “सरल", नारखी
"यथा नाम तथा गुण" आपकी गणना समाज के चुने हुए रलों में की जाती है। आपका पवित्र जीवन समाज की उपकृति के लिए ही बना है । साधारण परिस्थितियों में रहते हुए, सीमित साधनों के सहारे आप जितनी समाज सेवा कर पाये हैं वह वास्तव में स्तुत्य है सराहनीय है। "सादा जीवन उच्च विचार" तथा "संघर्प ही जीवन है। इस सिद्धान्त को आदर्श मानकर आप जन-सेवा के व्रत में संलग्न हैं।
आज से ४५ वर्ष पूर्व सन् १९२० में आपका जन्म "गढी हंसराम" नामक ग्राम में श्री बाबूलालजी जैन के घर हुआ था । आपके पिता श्री बाबूलालजीजैन उस समय वन-व्यवसाय करते थे और समाज में प्रतिष्ठा पूर्ण स्थान बनाए हुए थे। आप अपने सुपुत्र "पन्ना" को साधारण व्यवसायिक ज्ञान कराकर व्यापार में लगा देना चाहते थे। किन्तु उन्हें इस कार्य में सफसलता न मिल सकी । इसका प्रधान कारण था श्री पन्नालालजी की सेवा-पूर्ण भावना। आपकी भावना समाज-सेवा तथा राष्ट्र सेवा की ओर झुकती थी जब कि आपके पिता आपको बड़े व्यवसायो के रूप में देखना चाहते थे। इसी दुविधा में आपका वाल्यकाल शिक्षा-संग्रह न कर पाया। अतः आगे चलकर तो आपने हिन्दी की सर्वोत्कृष्ट परीक्षा "साहित्य रत्न" पास कर ली।
राजनीतिक क्षेत्र में जब आपने दृढ़ पुरुप की भांति प्रवेश किया, तो सन् ४२ के आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने पर तत्कालीन सरकार ने आपको बन्दी बना लिया। सना समाप्त हो जाने पर जब आप कारावास से बाहर आए, वो और भी कर्मठता तथा लगन के साथ एक सच्चे कांग्रेस कर्मों की भांति स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लेने लगे । सन् ४५ में कपड़े पर ब्लेक आरम्भ हो जाने के कारण आपने अपने पैतृक वस्त्र-व्यवसाय एवं लाइसेन्स को ठुकरा कर, देश-भक्ति का परिचय दिया। आप लम्बे समय तक मण्डल-कांग्रेस के मन्त्री, प्रधान तथा जिला कमेटी के सदस्य के रूप में देश-सेवा करते रहे हैं।
आपने अपने जीवन में साहित्य-सेवा का पावन-त्रत भी अक्षुण्ण बनाए रखा है और आज तक उसकी साधना में एक सच्चे साधक की भॉति जुटे हुए है । सन् १९४७ में “प्राम्य जीवन" साप्ताहिक पत्र का सम्पादन तथा प्रकाशन किया। “वीर भारन" का कार्यालय जव नारखी आगया, तत्र उसके सम्पादन का कार्य भी आपकी ही सफल लेखनी को सौपा गया। आप कई पत्रों के स्थाई लेखक एवं संवाददाता भी है। __सामाजिक संस्थाओं को भी आपका योग वराबर मिलता है। लगभग १० वर्षे से श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मरसलगंज दस्ट कमेटी के प्रधान मन्त्री के रूप में कार्यभार सम्भाले क्षेत्र की उन्नति में दतचित हैं।
सन् ५२ से अपने क्षेत्र के गांवों के निर्माण कार्य में लगे हुए है। ग्राम पंचायत नारखी के पाँच वर्षे तक कार्यवाहक प्रधान तथा सात वर्ष तक प्रधान पद पर रह स्थानीय जनचा क