Book Title: Padmavati Purval Jain Directory
Author(s): Jugmandirdas Jain
Publisher: Ashokkumar Jain

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Page 283
________________ श्री पद्मावती पुरवाल जैन डायरेक्टरी YoÝ भौतिक विकास के लिए भरपूर प्रयत्न किया है । फिरोजाबाद तहसील में आनेवाली बाढ़ों को रोकने एवं उससे प्रभावित जनता की सहायता के लिए " बाढ पीड़ित सहायक समिति" की स्थापना करके भारी जन सेवा की है। आप फिरोजाबाद तहसील के उत्तरी क्षेत्र कोटला- विकास क्षेत्र के वरिष्ठ उप प्रमुख तथा क्रय-विक्रय सहकारी समिति फिरोजाबाद के डायरेक्टर और उपमण्डल कांग्रेस कमेटी ओखरा के अध्यक्ष तथा तहसील बाढ पीड़ित सहायक समिति के मन्त्री के रूप में सेवारत है । आप गॉवों के उत्थान एवं सम्पन्नता के लिए प्रयत्नशील हैं। नगर और गाँवों की भारी असमानता को समाप्त कर सभी को उन्नति का अवसर मिले एवं ग्रामीण जनता में से अशिक्षा तथा अभाव दूर हो और सभी सुखो-सम्पन्न बने, इसी भावना को मूर्त रूप देने के लिए आप अहर्निष प्रयत्नशील है । स्व० श्री रामस्वरूपजी जैन, इन्दौर आप स्व० श्री बाबूरामजी जैन के सुपुत्र थे । आपका जन्म वि० सं० १९६५ पौष सुदी १० को हुआ था। आपके श्री पूज्य पिताजी भी समाज के श्रेष्ठ कार्य कर्ताओं में से थे। उनका समाज में अपरिमित प्रभाव था। एक रूप में समाज उन्हें अपना प्रतिनिधि मानता था । आप शिशु अवस्था से ही तीक्ष्ण बुद्धि थे । अतः आपने आश्चर्यं पूर्ण गति से शिक्षा का संग्रह किया और शीघ्र ही वी० ए० एल० एल० बी०, तक उच्च शिक्षा प्राप्त कर वकील धन गये । समाज आपको अपने गौरव शाली पुरुषों में देखता था । आपका प्रेम साहित्य के प्रति बराबर रहा आपने कई एक पुस्तकों का प्रकाशन तथा मुद्रण भी किया है। हिन्दी साहित्य के प्रति आपका अनुराग प्रशंसनीय था । हिन्दी-साहित्य के भण्डार को आपकी स्तुत्य देन है। आपकी गणना उत्तम शिक्षो में की जाती थी । भारत प्रसिद्ध सर सेठ हुकुमचन्दजी जैन पारमार्थिक संस्था इन्दौर के मन्त्री पद को आपने सुशोभित किया था। आपके इस सेवा काल मे संस्था की शाखाओं ने बड़ी वृद्धि प्राप्त की। आपके मूल्यवान सुझाव तथा सुनिश्चित योजनायें एवं सुव्यवस्थित कार्यक्रमों के कारण संस्था में नवीन जागृति आगई थी। आप श्री दि० जैन पद्ममावती पुरवाल संघ इन्दौर के संस्थापक तथा सभापति थे । इस दिशा में भी आप द्वारा प्रशंसनीय जाति सेवा हुई है। आपकी श्रीमती विश्वेश्वरी देवी जैन को भी आदर्श नारियों में गिना जाता रहा है। विनयकान्त जैन, कमलकान्त जैन बी० ए०, कलाकान्त जैन M. Com रविकान्त जैन बी० ए० तथा रमाकान्त जैन आदि सुपुत्र एवं उर्मिलादेवी तथा शोभादेवी जैन सुपुत्रियाँ आपके कुल परम्परागत धर्मों का भलि भाँति पालन करते हुए आपके सुयश को बढ़ा रहे हैं। आपका स्वर्गवास सन् १९६२ मे मोटर दुर्घटना से हो गया। आपकी मृत्यु से समाज शोक सन्तप्त हो उठा। अतः आप द्वारा की गई समाज सेवाऍ चिरकाल तक स्मरणीय रहेंगी ।

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