Book Title: Nyayavinishchay Vivaranam Part 1 Author(s): Vadirajsuri, Mahendramuni Publisher: Bharatiya Gyanpith View full book textPage 3
________________ अनुक्रम सम्पादकीय पृ०६-८ । प्रत्यक्ष लक्षण प्रस्तावना ग्रन्थ विभाग शाम का भात्मवेदिद परोक्ष ज्ञामवादका खण्डन दर्शन शामकी साकारता ४२५४३ दर्शन की परिभाषा बोराभिमत साझारवादकी मीमांसा लेम दर्शन की देन ज्ञान अर्धको जानता है बाह्य अर्थका सहावस्पात् शाम का अर्थ अर्थ सामान्यविक्षेपारसक और दरप्रोपलदेव उपाध्याय के मत की आलोचमा १८ पर्याधात्मक है • देवराज के मत की समीक्षा २० युद्धके शून्य निर्माणका साक्षा ४६.४७ महारंदित राहुल सांकृत्यायन के मत की जैनदर्शमकी पक्षार्थ व्यवस्था ४९-५३ समालोचना मुण और धर्म व और संजय विशदज्ञान प्रस्यक्ष ५३-५४ सप्तभंगी. परपरिकविपत प्रत्यक्षलक्षणनिसय श्री सम्पूर्णानन्द के.मत की समीक्षा मानस प्रत्यक्ष निराकरण अनेकान्त दर्शन का सांस्कृतिक भाधार स्वसंवेदन प्रत्यक्ष साउन सर राधा कृष्ण के मत की समीक्षा शैसम्मत चिसाप लक्षणका निगम्य मो. हनुमन्तराध के मत की आलोचना सांस्य और नैयायिक प्रत्यन लभपका निरास ५६ विषय-परिचय प्रत्यक्ष भेर प्रन्थ का नाम परमा प्रत्यक्ष न्यायविनिवप की श्रका का सा अन्धकार विभाग अन्धगतप्रमेय अकसके समयके सम्बन्ध कारिका संख्या ३३ | वादिराजसूरि (प्रेमीजी द्वारा सिलिम).. ५८.६२ न्यायविनिश्यविवरण का परिचय ३४.३३ अन्यकी विषय सूची प्रत्यक्ष परिच्छेद का विषय २६ । मूलग्रन्थ प्रमाण के भेद ३७ शुद्धिपष ५६Page Navigation
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